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वहाँ पहुँचकर हमने कहा : आप हमारे 'सैय्यिद' (अधिपति) हैं। तो आपने कहा : 'सैय्यिद' (अधिपति) तो अल्लाह है।" हमने कहा : आप…
वहाँ पहुँचकर हमने कहा : आप हमारे 'सैय्यिद' (अधिपति) हैं। तो आपने कहा : 'सैय्यिद' (अधिपति) तो अल्लाह है।" हमने कहा : आप हमारे बीच सबसे उत्तम और सबसे उपकार करने वाले व्यक्ति हैं। तो आपने कहा : "तुम मुझे अपने साधारण शब्दों से संबोधित करो अथवा कुछ साधारण शब्दों से संबोधित करो और देखो कहीं शैतान तुम्हें अपना प्रवक्ता न बना ले।
अब्दुल्लाह बिन शिख़्ख़ीर रज़ियल्लाहु अनहु का वर्णन है, वह कहते हैं : मैं बनू आमिर के एक प्रतिनिध मंडल के साथ अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास गया। वहाँ पहुँचकर हमने कहा : आप हमारे 'सैय्यिद' (अधिपति) हैं। तो आपने कहा : 'सैय्यिद' (अधिपति) तो अल्लाह है।" हमने कहा : आप हमारे बीच सबसे उत्तम और सबसे उपकार करने वाले व्यक्ति हैं। तो आपने कहा : "तुम मुझे अपने साधारण शब्दों से संबोधित करो अथवा कुछ साधारण शब्दों से संबोधित करो और देखो कहीं शैतान तुम्हें अपना प्रवक्ता न बना ले।"
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एक प्रतिनिधि मंडल अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास आया। पहुँचने के बाद उन्होंने आपकी प्रशंसा में कुछ बातें कहीं, जिन में से कुछ बातें आपको पसंद नहीं आईं। उन्होंने कहा : "आप हमारे 'सैय्यिद' (अधिपति) हैं।" अतः आपने उनसे कहा : "'सैय्यिद' (अधिपति) तो अल्लाह है।" सृष्टि पर उसी का संपूर्ण आधिपत्य है। और सारी सृष्टि उसके बंदे हैं। इसके बाद उन्होंने कहा : "आप हमारे बीच सबसे उत्तम" और सबसे ऊँची श्रेणी, सबसे अधिक प्रतिष्ठा वाले एवं सबसे अधिक विशिष्ट व्यक्ति हैं। "और सबसे अधिक उपकार करने वाले" यानी सबसे अधिक देने वाले एवं ऊँचाई पर विराजमान व्यक्ति हैं। इसके अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उनको निर्देश दिया के वे आपको साधारण शब्दों द्वारा संबोधित करें। ओर ढूँढ-ढूँढकर भारी-भरकम शब्द न लाएँ। कहीं ऐसा न हो कि शैतान उनको अतिशयोक्ति के मार्ग पर डाल दे, जो शिर्क और उसके साधनों की ओर ले जाता है।فوائد الحديث
सहाबा के दिलों में अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम का बड़ा सम्मान।
शब्दों के चयन में तकल्लुफ़ से काम लेने की मनाही और बातचीत में बीच की राह अपनाने की शिक्षा।
तौहीद को उन कथनों एवं कार्यों से सुरक्षित रखना, जो उसे कमज़ोर करने का काम करते हैं।
प्रशंसा में अतिशयोक्ति की मनाही, क्योंकि यह शैतान का प्रवेश द्वार है।
अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम आदम की संतान के सरदार हैं और इस हदीस में जो बात कही गई है, वह विनम्रता के कारण और इस भय से कही गई है कि कहीं लोग आपके बारे में अतिशयोक्ति न करने लगें।