إعدادات العرض
1- अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने हमें ख़ुत्बा -ए- हाजा (आवश्यकता वाला भाषण) सिखाया था (जो यह है) : إن الحمد لله، نستعينه ونستغفره، ونعوذ به من شرور أنفسناसमस्त प्रकार की उत्तम प्रशंसा केवल अल्लाह ही के लिए है, हम उसी से सहायता चाहते हैं तथा उसी से मग़फ़िरत (क्षमा) चाहते हैं और हम अपने नफ़्स की बुराईयों से अल्लाह की पनाह चाहते हैं।
2- तीन काम ऐसे हैं कि उन्हें संजीदगी से किया जाए या मज़ाक़ से, उनका एतबार होगा; निकाह, तलाक़ और तलाक़शुदा स्त्री को इद्दत के अंदर लौटाना।
3- नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने मैमूना (रज़ियल्लाहु अंहा) से निकाह किया, तो आप एहराम की अवस्था में थे, जब उनसे आपका मिलन हुआ, तो आप एहराम खोल कर हलाल हो चुके थे और उनकी मृत्यु सरिफ़ नामी स्थान में हुई।
4- ऐ बनू बयाज़ा, अबू हिंद से अपनी बेटियों का निकाह करो और उसके यहाँ अपने पुरूषों के लिए निकाह का संदेश भेजो।