إعدادات العرض
1- मुस्लिम काफिर का वारिस नहीं हो सकता तथा काफिर मुस्लिम का वारिस नहीं हो सकता।
2- मेरे वारिस न दीनार तक़सीम करेंगे, न दिरहम। जो कुछ मैं अपनी पत्नियों के ख़र्च और अपने लिये काम करने वाले (ख़लीफ़ा आदि ) के ख़र्च के बाद छोड़ूँ, वह सदक़ा है।
3- दो अलग-अलग धर्मों के लोग एक-दूसरे के वारिस नहीं बन सकते।
4- मीरास के हिस्से उनके हक़दारों के दे दो। फिर जो बच जाए, वह निकटतम पुरुष व्यक्ति के लिए है।
5- जो व्यक्ति कोई बोझ (कर्ज़ अथवा औलाद इत्यादि) छोड़ जाए, तो वह अल्लाह तथा उसके रसूल के ज़िम्मे है। जबकि जो व्यक्ति कोई माल छोड़ जाए, तो वह उसके वारिसों के लिए है। जिसका कोई वारिस न हो, मैं उसका वारिस हूँ। मैं उसकी ओर से दियत अदा करूँगा तथा उसका वारिस बनूँगा। मामूँ उसका वारिस है, जिसका कोई वारिस न हो। वह उसकी ओर से दियत अदा करेगा तथा उसका वारिस बनेगा।
6- जिस बच्चे ने पैदा होते समय चीत्कार किया, वह वारिस बनेगा।