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1- ऐ अल्लाह के रसूल! मेरे दो पड़ोसी हैं। मैं दोनों में से किसे कोई वस्तु भेंट के रूप में दूँ? आपने कहाः जिसका द्वार तेरे द्वार से अधिक निकट हो।
2- अगर तुमने उसे अपने मामा लोगों को दे दिया होता, तो अधिक सवाब मिलता
3- मैंने अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को एक जंगली गधा भेंट किया
4- नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने एक अज़्दी व्यक्ति, जिसे इब्न अल-लुतबिया कहा जाता था, को ज़कात का धन इकट्ठा करने का ज़िम्मेवार बनाया। जब वह वापस आया, तो बोला : यह आप लोगों का है और यह मुझे भेंट स्वरूप दिया गया है। यह देख अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) मिंबर पर खड़े हुए तथा अल्लाह की बड़ाई व प्रशंसा की
5- उसे न खरीदो और सद्क़ा किया हुआ सामान वापस न लो, यद्धपि वह तुम्हें एक दिर्हम ही में क्यों न दे, क्योंकि हिबा (हदिया, उपहार) किए हुए सामान को लौटाने वाला व्यक्ति वैसा ही है, जैसे उल्टी को खाने वाला।
6- हिबा किए हुए सामान को लौटाने वाला वैसा ही है, जैसे उल्टी को खाने वाला।
7- एक महिला अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के पास एक बुनी हुई धारीदार चादर लेकर आईं
8- अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने किसी को जीवन भर के लिए दी गई वस्तु के बारे में निर्णय दिया कि वह उसी की है, जिसे दी गई है।
9- 'वला' (अर्थात वारिस बनने का अधिकार) उसके लिए है, जिसने मुक्त करने का उपकार किया हो।