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1- जिसने सूरा-ए-फ़ातिहा नहीं पढ़ी, उसकी नमाज़ ही नहीं।
2- “संभवतः तुम लोग अपने इमाम के पीछे पढ़ते हो"? हमने कहा : हाँ, ऐ अल्लाह के रसूल! आपने फ़रमाया : "ऐसा न करो। हाँ, मगर सूरा फ़ातिहा पढ़ लिया करो; क्योंकि जो उसे नहीं पढ़ता, उसकी नमाज़ ही नहीं होती।”
3- सबसे बुरा चोर वह है, जो अपनी नमाज़ में चोरी करता है।" किसी सहाबी ने पूछा कि नमाज़ में चोरी करने का क्या मतलब है? आपने उत्तर दिया : "रुकू एवं सजदा संपूर्ण रूप से न किया जाए।