إعدادات العرض
1- क़ुरआन को अपनी आवाज़ के द्वारा सँवारकर पढ़ो।
2- अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम एक सूरा ख़त्म होकर दूसरा सूरा शुरू होने की बात जान नहीं पाते, जब तक आपपर "बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम" न उतरती।
3- अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से दस आयतें पढ़ते और दूसरी दस आयतों को पढ़ना उस समय तक शुरू नहीं करते, जब तक उन दस आयतों के ज्ञान एवं अमल को सीख न लेते
4- निस्संदेह यह क़ुरआन विभिन्न अंदाज़ों में उतरा है। अतः उनमें से जो आसान हो, पढ़ो।
5- हुज़ैफ़ा बिन यमान (रज़ियल्लाहु अनहु), उसमान बिन अफ़्फ़ान (रज़ियल्लाहु अनहु) के पास उस समय पहुँचे, जब वह आर्मीनिया और अज़रबाइजान को जीतने के लिए सीरिया तथा इराक़ वालों को तैयारी कराने में जुटे थे, हुज़ैफ़ा (रज़ियल्लाहु अनहु) को क़ुरआन पढ़ने के संबंध में लोगों के मतभेद ने घबराहट में डाल रखा था
6- ऐ जिबरील, मैं एक अनपढ़ समुदाय की ओर भेजा गया हूँ, जिसमें बूढ़ी स्त्रियाँ, बूढ़े पुरुष, बच्चे, बच्चियाँ और ऐसे लोग हैं, जिन्होंने कभी कोई किताब नहीं पढ़ी है।