إعدادات العرض
1- दुआ ही इबादत है।
2- अल्लाह के निकट दुआ से अधिक सम्मानजनक कोई चीज नहीं है।
3- मुसलमान की, अपने भाई के हक़ में, उसकी अनुपस्थिति में की गई दुआ क़बूल होती है। उसके सिर के निकट एक फ़रिश्ता नियुक्त होता है। वह जब भी अपने भाई के लिए कोई अच्छी दुआ करता है, वह नियुक्त फ़रिश्ता कहता है कि अल्लाह इसे ग्रहण करे तथा तुझे भी ऐसी ही भलाई मिले।