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1- नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने दो चितकबड़े सींग वाले मेढ़ों की क़ुरबानी की।
2- जो चीज़ रक्त बहा दे और ज़िबह करते समय जिसपर अल्लाह का नाम लिया गया हो, उसे खाओ। हाँ, मगर दाँत और नाखून से नहीं। मैं तुम्हें इसका कारण भी बताऊँगा। रही बात दाँत की तो यह हड्डी है और जहाँ तक नाखून की बात है, तो यह हब्शियों की छुरी है
3- हमने अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के जीवनकाल में एक घोड़ा ज़िबह किया और उसे खाया
4- मुझे अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने आदेश दिया कि मैं आपकी कुरबानी के जानवरों की देखरेख करूँ तथा उनके मांस, खालों (चमड़ों) और झूलों को सदक़ा कर दूँ और कसाई को उनमें से कुछ भी न दूँ।
5- मैंने अब्दुल्लाह बिन उमर (रज़ियल्लाहु अंहुमा) को देखा कि वह एक व्यक्ति के पास से गुज़रे, जो अपनी ऊँटनी को बिठाकर ज़बह कर रहा था, तो फ़रमायाः उसे खड़ा करके (तथा उसकी बाईं टाँग को) बाँधकर ज़बह करो। यही मुहम्मद( सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की सुन्नत है।
6- एक महिला ने एक बकरी को पत्थर से ज़बह किया और जब नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- से उसके बारे में पूछा गया, तो आपने उसे खाने का आदेश दिया।
7- हमने अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- से जानवर के गर्भ के बारे में पूछा, तो फ़रमाया : “यदि चाहो तो उसे खा सकते हो। क्योंकि उसकी माँ को ज़बह करना ही उसके लिए काफ़ी है।”