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1- सबसे उत्तम दिन जिसमें सूरज निकला, जुमा का दिन है। इसी दिन आदम- अलैहिस्सलाम- पैदा हुए, इसी दिन जन्नत में दाख़िल हुए और इसी दिन वहाँ से निकाले गए
2- जो बातें मैं तुम्हें बताना छोड़ दूँ, उनके बारे में तुम मुझे मेरे हाल पर रहने दो, क्योंकि तुमसे पहले लोगों को केवल इसी बात ने विनष्ट किया कि वे अत्यधिक प्रश्न करते और अपने नबियों से मतभेद करते थे। अतः, जब मैं किसी चीज़ से मना करूँ तो उससे बचते रहो और जब किसी चीज़ का आदेश दूँ तो जहाँ तक हो सके, उसका पालन करो।
3- उस हस्ती की क़सम, जिसके हाथ में मेरी जान है, वह समय बहुत ही निकट है, जब तुम्हारे बीच मरयम के बेटे न्यायकारी शासक के रूप में उतरेंगे। वह सलीब तोड़ देंगे, सूअर का वध करेंगे, जिज़्या (वेशेष लगान) हटा देंगे और धन की इतनी बहुतायत हो जाएगी कि कोई उसे ग्रहण नहीं करेगा।
4- तो क्या तुम मुझसे अरब क़बीलों के बारे में पूछ रहे हो? उनमें से जो लोग जाहिलियत काल में श्रेष्ठ थे, वे इसलाम में भी श्रेष्ठ हैं, जब इसलाम का ज्ञान प्राप्त कर लें।
5- जब अल्लाह ने आदम (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को पैदा किया तो कहा कि जाओ और उन (बैठे हुए फ़रिश्तों) को सलाम करो और सुनो कि वे क्या उत्तर देते हैं, क्योंकि वही तुम्हारा और तुम्हारी संतान का सलाम होगा।
6- ऐ अल्लाह, मेरे समुदाय के लोगों को क्षमा कर दे, क्योंकि वे जानते नहीं हैं
7- अल्लाह मूसा पर दया करे, उन्हें इससे भी अधिक कष्ट दिया गया, परन्तु सब्र से काम लिया
8- ज़करिय्या (अलैहिस्सलाम) बढ़ई थे
9- अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने छिपकली को मारने का आदेश दिया और फ़रमाया: यह इब्राहीम (अलैहिस्सलाम) पर फूँक मारती थी
10- एक व्यक्ति ने पूछाः ऐ अल्लाह के रसूल, क्या आदम (अलैहिस्सलाम) नबी थे? आपने फ़रमायाः हाँ! उन्होंने पूछाः उनके और नूह (अलैहिस्सलाम) के बीच कितनी अवधि थी? फ़रमायाः दस सदी। उन्होंने पूछाः नूह़ और इबराहीम (अलैहिमस्सलाम) के बीच कितनी अवधि थी? फ़रमायाः दस सदी। उन्होंने पूछा : ऐ अल्लाह के रसूल, कुल कितने रसूल हुए हैं? फ़रमायाः तीन सौ पंद्रह।
11- जब कोई आदम की संतान जन्म लेती है, तो उसके जन्म के समय शैतान उसे छूता है और शैतान के छूने के कारण वह चीख पड़ती है। अलबत्ता मरयम और उनके बेटे के साथ ऐसा नहीं हुआ।
12- ख़ज़िर को ख़ज़िर का नाम इसलिए दिया गया कि (एक बार) वह एक सूखे खेत में बैठे, तो देखते ही देखते उनके पीछे हरियाली लहलहाने लगी।
13- वस्वयं श्रेष्ठ, श्रेष्ठ के पुत्र, श्रेष्ठ के पोते, श्रेष्ठ के पडपोते यूसुफ़ बिन याक़ूब बिन इसहाक़ बिन इबराहीम -अलैहिमुस्सलाम।
14- एक बार अय्यूब (अलैहिस्सलाम) नग्न होकर स्नान कर रहे थे कि उनपर सोने की टिड्डी गिरने लगी।
15- मूसा (अलैहिस्सलाम) और ख़ज़िर की घटना
16- इबराहीम -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- अपने दूध पीते बच्चे इसमाईल –अलैहिस्सलाम- तथा उनकी माता को साथ लेकर आए और काबा के पास, एक बहुत बड़े पेड़ के निकट एक स्थान में छोड़ गए, जो ज़मज़म के ऊपर और मस्जिद के सबसे ऊँचे भाग में था। उस समय मक्का में कोई नहीं रहता था तथा पानी की व्यवस्था भी नहीं थी।
17- जब आदम (अलैहिस्सलाम) की मृत्यु हुई, तो फ़रिश्तों ने उन्हें पानी से विषम संख्या में स्नान दिया और क़ब्र में दफ़न किया तथा कहा कि आदम की यह सुन्नत उनकी संतान में भी जारी रहेगी
18- मूसा -अलैहिस्सलाम- एक शर्मीले व्यक्ति थे और परदे का ख़ास ख़याल रखते थे। हया के कारण उनके शरीर की त्वचा का कोई अंग नहीं दिखता था। इसी को लेकर बनी इसराईल के कुछ लोगों ने उन्हें कष्ट दिया।
19- ईसा बिन मरयम -अलैहिस्सलाम- ने एक व्यक्ति को चोरी करते देखा, तो उससे कहाः क्या तूने चोरी की है? उसने कहाः बिलकुल नहीं, उस अल्लाह की क़सम, जिसके सिवा कोई वंदनीय नहीं है। इस पर ईसा -अलैहिस्सलाम- ने कहाः मैं अल्लाह पर ईमान लाया और अपनी आँख को झुठलाया।
20- किसी बंदे के लिए यह कहना उचित नहीं है कि मैं यूनुस बिन मत्ता से उत्तम हूँ।
21- सूरज को किसी इनसान के लिए रोका नहीं गया है, सिवाए यूशा -अलैहिस्सलाम- के, जिनके साथ बैतुल मक़दिस की ओर चलने की रातों में ऐसा हुआ था।
22- किसी ने कोई भोजन ग्रहण नहीं किया, जो उसके हाथ की कमाई के भोजन से उत्तम हो तथा अल्लाह के नबी दाऊद (अलैहिस्सलाम) अपने हाथ की कमाई से खाते थे