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1- सुब्हानल्लाह! यह शैतान की ओर से है। वह एक टब में बैठ जाए और जब पानी के ऊपर पीलापन देखे, तो ज़ुहर तथा अस्र के लिए एक स्नान करे और मग़रिब तथा इशा के लिए एक स्नान करे एवं फ़ज्र के लिए एक स्नान करे और इसके बीच की अवधि में वज़ू करती रहे
2- मेरी सहायता रोब के द्वारा की गई है, मुझे धरती की कुंजियाँ दी गई हैं, मुझे अहमद नाम दिया गया है, मेरे लिए मिट्टी को पवित्रता प्राप्त करने का साधन बनाया गया है और मेरी उम्मत को सबसे उत्तम उम्मत बनाया गया है
3- हमें लोगों पर तीन बातों में फ़ज़ीलत दी गई है। हमारी सफ़ों को फ़रिश्तों की सफ़ों की तरह बनाया गया है, हमारे लिए पूरी ज़मीन को मस्जिद बनाया गया है तथा जब पानी न मिले तो उसकी मिट्टी को हमारे लिए पवित्रता प्राप्त करने का साधन बनाया गया है
4- मैं तथा अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) एक ही बर्तन से जनबात (संभोग के बाद) का स्नान कर लेते थे। हम दोनों के हाथ बारी- बारी उससे पानी लेते थे
5- नहीं, तुम्हारे लिए बस इतना काफ़ी है कि अपने सर पर तीन चुल्लू पानी डाल लो और फिर अपने शरीर पर पानी बहा लो, इससे तुम पवित्र हो जाओगी
6- मैंने अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के लिए स्नान का पानी रखा
7- अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) जब जनाबत का स्नान करते तो पहले दोनों हाथों को धोते, फिर दाएँ हाथ से बाएँ हाथ पर पानी डालते और अपनी शर्मगाह को धोते। फिर नमाज़ के वज़ू की तरह वज़ू करते
8- पुरुष का पानी मोटा तथा सफ़ेद होता है और स्त्री का पानी पतला तथा पीला होता है, दोनों में से जो भी प्रभावी रहे या आगे रहे, (बच्चे के अंदर) उसी की समरूपकता पाई जाती है
9- अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने गोबर तथा हड्डी से इस्तिंजा करने से मना किया है और कहा है: यह दोनों चीज़ें पवित्रता प्रदान नहीं करतीं
10- अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम जब शौच के स्थान से निकलते, तो कहते : "غُفْرَانَكَ" अर्थात, ऐ अल्लाह! मैं तुझसे क्षमा का प्रार्थी हूँ।
11- आपने हमें इस बात से मना किया है कि हम पाखाना तथा पेशाब के समय क़िबले की ओर मुँह करें, दाएँ हाथ से इस्तिंजा करें, तीन से कम पत्थरों से इस्तिंजा करें या गोबर अथवा हड्डी से इस्तिंजा करें
12- अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने यात्री के लिए तीन दिन तीन रात और ठहरे हुए व्यक्ति के लिए एक दिन एक रात निर्धारित की है
13- मुझे कुछ पत्थर ला दो; उनसे मुझे इस्तिंजा करना है, मगर हड्डी तथा गोबर न लाना
14- जब कोई व्यक्ति अपने जूतों से गंदी रौंदे, तो उन्हें पाक करने वाली वस्तु मिट्टी है।
15- नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने मुसाफ़िर के लिए तीन दिन तथा तीन रात एवं घर पर रहने वाले के लिए एक दिन एवं एक रात इस बात की छूट दी है कि जब वह वज़ू करके मौज़े पहने, तो उनपर मसह कर सकता है।
16- क्या आप मुझ से अल्लाह के -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- के रोग के संबंध में नहीं बताएंगीं? उन्होंने कहाः क्यों नहीं, जब आप बीमार थे तो आप ने पूछाः क्या लोगों ने नमाज़ पढ़ लिया? हम ने कहाः नहीं, (बल्कि) लोग आप की प्रतीक्षा कर रहे हैं।
17- क़ुरैश के कुछ लोग अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- के पास से गुज़रे, जो एक बकरी को गधे की तरह घसीटकर ले जा रहे थे। यह देख अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़रमाया : “तुम उसका चमड़ा ही उतार लेते।” उन लोगों ने कहा : यह तो मरी हुई है! अल्लाह के रसूल -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने फ़रमाया : “उसे पानी और क़रज -नामी पेड़ के पत्ते- शुद्ध कर देते हैं।”
18- नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- का प्याला टूट गया, तो टूटने के स्थान पर चाँदी का तार लगा दिया।
19- बेशक आँखें मलद्वार की रस्सी हैं, जब आँखें सो जाती हैं तो रस्सी ढीली पड़ जाती है
20- क्या तुझे इस जानवर के प्रति अल्लाह का भय नहीं होता, जिसका तुझे अल्लाह ने मालिक बनाया है? यह मुझ से शिकायत कर रहा है कि तू उसे भूखा रखता और थकाता है
21- (नमाज़) की क़जा नहीं करेगी। अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) की बीवियाँ निफ़ास की दशा में चालीस रात तक बैठी रहतीं, लेकिन अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) उन्हें निफ़ास के समय की छूटी हुई नमाज़ें पढ़ने का आदेश नहीं देते थे
22- इन्होंने उसे मार डाला है, अल्लाह इनका विनाश करे! जब इन्हें पता नहीं था, तो इन्होंने किसी से पूछ क्यों नहीं लिया? क्योंकि न जानने का इलाज पूछना ही है। उसके लिए तो बस इतना काफ़ी था कि तयम्मुम कर लेता और अपने ज़ख़्म पर एक कपड़े का टुकड़ा (या पट्टी) बाँध लेता और फिर उसपर मसह कर लेता और पूरे शरीर को धो लेता
23- तुमने सुन्नत को पा लिया और तुम्हारी नमाज़ तुम्हारे लिए काफ़ी हो गई
24- पवित्र मिट्टी मुसलमान के लिए वज़ू का साधन है, चाहे दस साल ही क्यों न हो जाए। फिर जब तुझे पानी मिल जाए, तो उसे अपने शरीर पर बहा ले, क्योंकि यही उत्तम है
25- ऐ अल्लाह के रसूल! आपका उस व्यक्ति के बारे में क्या ख़्याल है, जिसे उसकी पत्नी से जल्दी हटा दिया जाए और उसका वीर्य न निकला हो, उसे क्या करना है? अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने फ़रमाया: स्नान तो केवल वीर्य निकलने से करना होता है
26- नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) (कभी-कभी) सारी स्त्रियों के पास जाने के पश्चात एक ही दफा अंत में ग़ुस्ल (स्नान) करते थे।
27- जिस ने इस प्रकार वज़ू किया, उसके पिछले सारे गुनाह माफ़ कर दिए जाते हैं