लालसा तथा शहवतों की मज़म्मत

लालसा तथा शहवतों की मज़म्मत

4- "अल्लाह ने एक उदाहरण दिया है। एक सीधा रास्ता है*। रास्ते के दोनों ओर दो दीवारें हैं। दोनों दीवारों में कुछ द्वार खुले हैं। उन द्वारों पर पर्दे लटके हुए हैं। रास्ते के द्वार पर पुकारने वाला कह रहा है : ऐ लोगो! सब के सब इस राह में दाख़िल जाओ और इधर-उधर न भठको। जबकि एक और पुकारने वाला रास्ते के ऊपर से पुकार रहा है। जब कोई बंदा उन द्वारों में से किसी द्वार को खोलना चाहता है, तो कहता है : तेरा बुरा हो, इसे मत खोल। अगर तू इसे खोलेगा, तो इसमें घुस जाएगा। वह रास्त इस्लाम है, दोनों दीवारें अल्लाह की सीमाएँ हैं, खुले हुए द्वार अल्लाह की हराम की हुई चीज़ें हैं, रास्ते के एक सिरे पर उपस्थित पुकारने वाले अल्लाह की किताब है और रास्ते के ऊपर से पुकारने वाला हर मुसलमान के दिल में मौजूद अल्लाह का नसीहत करने वाला है।"

5- अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने यह आयत पढ़ी : "(ऐ नबी!) वही है जिसने आप पर यह पुस्तक उतारी, जिसमें से कुछ आयतें मुहकम हैं, वही पुस्तक का मूल हैं, तथा कुछ दूसरी (आयतें) मुतशाबेह हैं। फिर जिनके दिलों में टेढ़ है, तो वे फ़ितने की तलाश में तथा उसके असल आशय की तलाश के उद्देश्य से, सदृश अर्थों वाली आयतों का अनुसरण करते हैं। हालाँकि उनका वास्तविक अर्थ अल्लाह के सिवा कोई नहीं जानता। तथा जो लोग ज्ञान में पक्के हैं, वे कहते हैं हम उसपर ईमान लाए, सब हमारे रब की ओर से है। और शिक्षा वही लोग ग्रहण करते हैं, जो बुद्धि वाले हैं।" [सूरा आल-ए-इमरान : 7] उनका कहना है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "@जब तुम ऐसे लोगों को देखो, जो क़ुरआन की सदृश आयतों का अनुसरण करते हों, तो जान लो कि उन्हीं का नाम अल्लाह ने लिया है। अतः उनसे सावधान रहना*।"