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1- आदमी के बीच तथा कुफ़्र एवं शिर्क के बीच की रेखा नमाज़ छोड़ना है।
2- वह वचन, जो हमारे और उनके बीच है, नमाज़ है। जिसने इसे छोड़ दिया, उसने कुफ़्र किया।
3- जिस आदमी ने (अपने पिता को जानते हुए) यह दावा किया कि उसका पिता कोई और है, वह काफ़िर हो गया तथा जिसने किसी ऐसी चीज़ का दावा किया जो उसकी नहीं है, वह हममें से नहीं है तथा वह अपना ठिकाना जहन्नम में बना ले और जिसने किसी व्यक्ति को काफ़िर कहकर पुकारा या अल्लाह का दुश्मन कहा, हालाँकि वह वैसा नहीं है तो उसकी यह बात उसी की ओर लौट आएगी।
4- लोगों के अंदर कुफ़्र की दो बातें पाई जाती हैं : किसी के कुल पर कटाक्ष करना तथा मरे हुए व्यक्ति पर विलाप करना।
5- जो व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति पर पापी अथवा काफ़िर होने का आरोप लगाएगा, वह उसी पर लौट आएगा, यदि वह व्यक्ति ऐसा न हो
6- उसने कभी यह नहीं कहा : ऐ मेरे रब! प्रतिफल के दिन मेरे गुनाह माफ़ कर देना।
7- क्या तुम्हें मालूम है कि तुम्हारे रब ने क्या कहा?” लोगों ने कहा : अल्लाह और उसके रसूल बेहतर जानते हैं। (आपने फ़रमाया कि अल्लाह ने) फ़रमाया : “मेरे बंदों में से कुछ ने मुझपर ईमान लाने वाले और कुछ ने कुफ़्र करने वाले बनकर सुबह की