ईमान की शाखाएँ

ईमान की शाखाएँ

1- एक व्यक्ति ने अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से प्रश्न करते हुए कहा : @इस बारे में आपका क्या कहना है कि अगर मैं पाँच वक़्त की फ़र्ज़ नमाज़ें पढ़ूँ, रमज़ान महीने के रोज़े रखूँ तथा हलाल को हलाल एवं हराम को हराम* मानकर चलूँ और इससे अधिक कुछ न करूँ, तो क्या मैं जन्नत में प्रवेश कर सकूँगा? आपने उत्तर दिया : "हाँ।" इसपर उसने कहा : अल्लाह की क़सम, मैं इससे ज़्यादा कुछ नहीं करूँगा।

2- "पवित्रता आधा ईमान है, अल-हम्दु लिल्लाह तराज़ू को भर देता है, सुबहानल्लाह और अल-हम्दु लिल्लाह दोनों मिलकर आकाश एवं धरती के बीच के खाली स्थान को भर देते हैं*, नमाज़ नूर है, सदक़ा प्रमाण है, धैर्य प्रकाश है और क़ुरआन तुम्हारे लिए या तुम्हारे विरुद्ध प्रमाण है। प्रत्येक व्यक्ति जब रोज़ी की खोज में सुबह निकलता है, तो अपने नफ़्स को बेचता है। चुनांचे वह उसे आज़ाद करता है या उसका विनाश करता है।"

6- "मैं हौज़ (तालाब) के पास ही रहूँगा, ताकि देख सकूँ कि तुममें से कौन-कौन मेरे पास पानी पीने आता है। कुछ लोगों को मेरे पास आने से रोक दिया जाएगा, तो मैं कहूँगा कि ऐ मेरे रब! ये मेरे तथा मेरी उम्मत के लोग हैं*।" चुनांचे कहा जाएगा : क्या तुम्हें मालूम है कि इन लोगों ने तुम्हारे बाद क्या अमल क्या है? अल्लाह की क़सम, ये लोग अपनी एड़ियों के बल (आपके दीन से) लौटते रहे।"