إعدادات العرض
1- अपने घरों को क़ब्रिस्तान मत बनने दो, शैतान भागता है उस घर से
2- जिसने सूरा बक़रा की अंतिम दो आयतें रात में पढ़ लीं, वह उनके लिए काफ़ी हैं
3- उच्च एवं महान अल्लाह ने कहा है : मैंने नमाज़ को अपने तथा अपने बंदे के बीच आधा-आधा बाँट दिया है, तथा मेरे बंदे के लिए वह सब कुछ है, जो वह माँगे
4- जो सूरा कहफ़ की आरंभिक दस आयतें याद करेगा, दज्जाल से सुरक्षित रहेगा
5- क्या मैं तुम्हें, क़ुरआन की महानतम सूरा न सिखाऊँ?
6- क्या तुम्हें मालूम नहीं कि जो आयतें आज रात उतरी हैं, उन जैसी आयतें कभी नहीं देखी गईं! ये आयतें हैं: क़ुल अऊज़ु बि-रब्बिल फ़लक़ और क़ुल अऊज़ु बि-रब्बिन्नास
7- अल्लाह की क़सम! ऐ अबुल मुंज़िर! तुमको यह ज्ञान मुबारक हो।
8- अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम जब प्रत्येक रात बिस्तर में जाते, तो अपनी दोनों हथेलियों को जमा करते, फिर उनमें फूँकते और उनमें "क़ुल हु-वल्लाहु अहद", "क़ुल अऊज़ु बि-रब्बिल फ़लक़" और "क़ुल अऊज़ु बि-रब्बिन नास
9- अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने एक व्यक्ति को एक सैन्यदल का अमीर बनाकर भेजा। वह अपने साथियों को नमाज़ पढ़ाते समय कुरआन पढ़ता, तो अंत में "قل هو الله أحد" पढ़ता।
10- जिबरील (अलैहिस्सलाम) नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के पास बैठे हुए थे कि ऊपर से एक आवाज़ सुनी।
11- एक व्यक्ति सूरा कह्फ़ पढ़ रहा था और उसके निकट ही एक घोड़ा रस्सियों से बंधा हुआ था।
12- क़ुरआन में एक सूरत है, जिसमें तीस आयतें हैं, वह अपने पढ़ने वाले व्यक्ति के लिए सिफ़ारिश करती रहेगी यहाँ तक कि उसे क्षमा कर दिया जाएगा
13- क़ुरआन पढ़ो; क्योंकि क़ुरआन क़यामत के दिन अपने पढ़ने वालों के लिए सिफ़ारिशी बनकर आएगा।