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1- मुसलमान को जो भी रोग, थकान, दुख, गम, कष्ट और विपत्ति पहुँचती है, यहाँ तक कि एक एक काँटा भी चुभता है, तो उसके ज़रिए अल्लाह उसके गुनाहों को मिटा देता है
2- जिस बंदे ने सच्चे दिल से यह गवाही दी कि अल्लाह के सिवा कोई सत्य पूज्य नहीं है और मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) अल्लाह के बंदे तथा उसके रसूल हैं, अल्लाह उसे जहन्नम पर हराम कर देगा
3- बंदों पर अल्लाह का अधिकार यह है कि बंदे उसकी इबादत करें और किसी को उसका साझी न बनाएँ। जबकि अल्लाह पर बंदों का अधिकार यह है कि अल्लाह किसी ऐसे व्यक्ति को अज़ाब न दे, जो किसी को उसका साझी न ठहराता हो
4- जो इस हाल में मरा कि किसी को अल्लाह का साझी नहीं बनाया, वह जन्नत में प्रवेश करेगा और जो इस हाल में मरा कि किसी को अल्लाह का साझी बनाता रहा, वह जहन्नम में जाएगा।
5- अल्लाह क़यामत के दिन मेरी उम्मत से एक व्यक्ति को चुनकर सारी सृष्टियों के सामने उपस्थित करेगा
6- मेरी क़ब्र को मेला स्थान न बनाना और न अपने घरों को क़ब्रिस्तान बनाना। हाँ, मुझपर दरूद भेजते रहना। क्योंकि तुम जहाँ भी रहो, तुम्हारा सलाम मुझे पहुँच जाएगा।
7- मुझे यह पसंद नहीं है कि मेरे पास इस उहुद पर्वत के बराबर सोना हो और तीन दिनों के बाद मेरे पास उसका एक दीनार भी शेष रह जाए, सिवाय उसके जिसे मैं क़र्ज़ अदा करने के लिए बचा रखूँ। बाक़ी पूरा का पूरा अल्लाह के बंदों के बीच इस तरह, इस तरह और इस तरह बाँट दूँ।
8- क्या तुम इस बात की गवाही नहीं देते कि अल्लाह के सिवा कोई सत्य पूज्य नहीं है और मुहम्मद अल्लाह के रसूल हैं?
9- अमल छह प्रकार के हैं और लोग चार प्रकार के हैं। रही बात छह आमाल की, तो उनमें से दो प्रकार के अमल वाजिब करने वाले हैं, दो प्रकार के अमल बराबर-बराबर हैं, एक प्रकार का अमल ऐसा नेक अमल है कि उसका सवाब दस गुना मिलता है और एक प्रकार का अमल ऐसा नेक अमल है कि उसका सवाब सात सौ गुना मिलता है
10- आप ला इलाहा इल्लल्लाह कह दें, मैं क़यामत के दिन आपके लिए इसकी गवाही दूँगा