إعدادات العرض
1- इन दिनों में अल्लाह को नेकी के कर्म जितने पसंद हैं किसी और दिनों में उतना पसंद नहीं
2- जिसने सच्चे दिल से अल्लाह से शहादत माँगी, अल्लाह उसे शहीदों के मर्तबों तक पहुँचाएगा, यद्यपि उसकी मृत्यु बिस्तर पर हुई हो।
3- जिसने अल्लाह के रास्ते में युद्ध करने वाले किसी व्यक्ति को युद्ध के सामान देकर तैयार किया, उसने युद्ध किया और जिसने किसी युद्ध पर गए हुए व्यक्ति के घर वालों की अच्छी तरह देख-रेख की, उसने युद्ध किया।
4- जिस बंदे के दोनों क़दमों में अल्लाह के मार्ग की धूल लगेगी, उसे जहन्नम की आग छू नहीं सकती।
5- शहीद क़त्ल का दर्द केवल उतना ही महसूस करता है, जितना तुममें से कोई चींटी के डंक मारने से महसूस करता है।
6- आपका क्या ख़याल है कि यदि मैं अल्लाह के मार्ग में जिहाद करते हुए मारा जाऊँ तो मेरे गुनाह माफ़ हो जाएँगे?
7- सबसे अधिक अच्छा व्यक्ति कौन है ऐ अल्लाह के रसूल?
8- जो जिहाद किए बिना अथवा जिहाद के इरादे के बिना ही मर गया, वह मुनाफ़िक़ ही अवस्था में मरा।
9- मुसलमानों की माता आइशा (रज़ियल्लाहु अंहा) का यह कहना कि उन्होंने नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) से जिहाद में निकलने की अनुमति माँगी, तो आपने फ़रमायाः "तुम्हारा जिहाद हज है।"
10- अल्लाह के रास्ते में - एक दिन एवं एक रात की पहरेदारी महीना भर के रोज़ा और तहज्जुद से उत्तम है। अगर वह मर गया, तो उसका वह अमल जारी रहेगा, जो वह क्या करता था तथा उसकी रोज़ी जारी कर दी जाएगी एवं वह क़ब्र की परीक्षा से सुरक्षित रहेगा।
11- प्रत्येक मरने वाले का अमल मृत्यु के बाद बंद हो जाता है। हाँ, मगर अल्लाह की राह में पहरेदारी करने वाले की बात अलग है। उसका अमल क़यामत के दिन तक बढ़ता रहता है और वह क़ब्र की परीक्षा से सुरक्षित रहता है।
12- अल्लाह ने उसकी राह में जिहाद करने वाले की ज़िम्मेवारी ली है कि यदि वह मर गया, तो उसे जन्नत में दाख़िल करेगा या फिर पुण्य अथवा ग़नीमत के धन के साथ सुरक्षित वापस लाएगा।
13- अल्लाह के रास्ते में एक दिन की पहरेदारी दुनिया और उसकी सारी वस्तुओं से बेहतर है।
14- अल्लाह के रास्ते में एक सुब्ह अथवा एक शाम निकलना उन सारी वस्तुओं से बेहतर है, जिनपर सूरज निकलता तथा डूबता है
15- जो व्यक्ति अल्लाह के रास्ते में ज़ख़्मी हो जाए, वह क़यामत के दिन इस हाल में आएगा कि उसके ज़ख़्म से रक्त बह रहा होगा। उसका रंग तो रक्त का होगा, लेकिन सुगंध कस्तूरी जैसी होगी
16- उहुद के दिन एक आदमी ने नबी- सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- से कहाः आप क्या कहते हैं कि अगर मैं शहीद हो गया, तो कहाँ रहूँगा? आपने कहाः "जन्नत में।" यह सुनकर उसने वह खजूरें फेंक दीं, जो उसके हाथ में थीं और लड़ने लगा, यहाँ तक कि शहीद हो गया।
17- इसने कार्य थोड़ा किया और प्रतिफल बड़ा प्रदान किया गया।
18- घोड़े के माथे की लट से क़यामत के दिन तक भलाई बाँध दी गई है
19- अल्लाह, शहीद के हर गुनाह को, क़र्ज़ के सिवा, क्षमा कर देगा
20- अल्लाह के रास्ते में युद्ध करो क्योंकि जिसने दो-एक क्षणों के लिए भी अल्लाह के रास्ते में युद्ध किया, उसके लिए जन्नत वाजिब हो गई
21- अल्लाह के भय से रोने वाला व्यक्ति उसी प्रकार जहन्नम में प्रवेश नहीं कर सकता, जिस प्रकार दूध थन में लौट नहीं सकता।
22- कोई व्यक्ति ऐसा नहीं है जो जन्नत में प्रवेश करने के बाद दुनिया की ओर लौटना चाहेगा, चाहे उसे धरती की सारी वस्तुएँ मिल जाएँ। हाँ, मगर शहीद की बात और है। वह (शहादत का) सम्मान देखकर कामना करेगा कि दोबारा दुनिया की ओर वापस जाए और दस बार क़त्ल किया जाए।
23- अल्लाह के मार्ग में जिहाद करने वाले की मिसाल उस व्यक्ति की तरह है, जो उसके अल्लाह के मार्ग में जिहाद से वापस आने तक लगातार रोज़ा रखे, नमाज़ पढ़े और क़ुरआन पढ़ता रहे तथा रोज़ा एवं नमाज़ से थकावट महसूस ना करे।
24- जिसने अल्लाह के मार्ग में जिहाद के लिए एक घोड़ा सुरक्षित रखा तथा ऐसा अल्लाह पर ईमान और उसके वचन को सच मानते हुए किया तो क़यामत के दिन उसे उसके खाने, पीने और पेशाब तथा गोबर, हर चीज़ का प्रतिफल मिलेगा।
25- जो अल्लाह के रब होने, इस्लाम के धर्म होने और मुहम्मद के रसूल होने से संतुष्ट हो गया, उसके लिए जन्नत अनिवार्य हो गई।
26- जिसने अल्लाह के मार्ग में एक तीर चलाया, वह उसके लिए एक गुलाम आजाद करने के बराबर है।
27- जिस मुसलमान ने अल्लाह के मार्ग में तनिक समय तक भी अल्लाह के मार्ग में जिहाद किया, उसके लिए जन्नत अनिवार्य हो गई और जो अल्लाह की राह में ज़ख़्मी हुआ या चोट खाई, उसके ज़ख़्म से क़यामत के दिन भारी मात्रा में रक्तस्राव हो रहा होगा, जिसका रंग केसर के जैसा होगा और सुगंध कस्तूरी जैसी।
28- सबसे बेहतर जीवन उस व्यक्ति का है, जो अल्लाह के रास्ते में घोड़े की लगाम पकड़े रहता है
29- तुममें से जो भी (जिहाद में) जाने वाले के घर वालों तथा उसके माल की अच्छी तरह ज़िम्मेवारी निभाएगा, उसे (जिहाद में) निकलने वाले के बराबर नेकी मिलेगी।
30- जिसने जिहाद नहीं किया अथवा किसी मुजाहिद को तैयार नहीं किया अथवा किसी मुजाहिद के पश्चात उसके घर वालों की देख-रेख नहीं की, अल्लाह उसे क़यामत से पहले ही किसी न कसी आपदा में ग्रस्त कर देगा।
31- शहीद पाँच हैं; ताऊन (प्लेग) से मरने वाला, पेट की बीमारी से मरने वाला, डूबकर मरने वाला, किसी गिरने वाली वस्तु के नीचे दबकर मरने वाला और अल्लाह के रास्ते में शहीद होने वाला।
32- अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने दस लोगों का के एक सैन्य दल जसूसी के लिए भेजा और आसिम बिन साबित अंसारी (रज़ियल्लाहु अंहु) को उसका प्रमुख बनाया।
33- युद्ध से वापसी भी युद्ध के समान है।
34- मेरी उम्मत के दो गिरोह ऐसे हैं, जिन्हें अल्लाह ने आग से सुरक्षित कर दिया है; एक गिरोह जो हिंद की भूमि पर युद्ध करेगा और दूसरा गिरोह जो ईसा बिन मरयम -अलैहिमस्सलाम- का साथ देगा।
35- मेरी उम्मत का भ्रमण (सर्वशक्तिमान एवं प्रभुत्वशाली) अल्लाह के मार्ग में जिहाद है।