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1- न दी हुई चीज़ को ज़ाहिर करने वाला ऐसा है, जैसे किसी ने झूठ का जोड़ा पहन रखा हो।
2- जिस मुस्लिम के तीन बच्चे मर जाएँ, उसे जहन्नम की आग केवल क़सम पूरी करने भर छूएगी
3- दो गाली देने वालों की गाली की लानत, आरंभ करने वाले पर होगी, जब तक कि पीड़ित आत्याचार न करे
4- एक व्यक्ति को उनके पास लाया गया और उन से कहा गया: यह अमुक आदमी है, इसकी दाढ़ी से शराब टपक रही है। यह सुन कर आपने फ़रमाया: हमें जासूसी करने से मना किया गया है, लेकिन यदि कोई चीज़ ज़ाहिर हो तो हम उसकी उसके कारण पकड़ करेंगे
5- किसी मुस्लिम के लिए जायज़ नहीं है कि अपने भाई को तीन दिन से अधिक छोड़े रखे, जिसने तीन दिन से अधिक छोड़े रखा और इसी दशा में मर गया तो वह जहन्नम में दाख़िल होगा
6- बेशक अल्लाह तआला उन लोगों को -क़यामत के दिन- यातना देगा जो दुनिया में लोगों को यातना देते हैं
7- जो अपने दास को बिना किसी कारण के मारता है, उसका प्रायश्चित यह है कि उसे मुक्त कर दे
8- मुजाहेदीन की पत्नियाँ, जिहाद में न जाने वालों के लिए उनकी अपनी माताओं के समान हराम हैं
9- आप न तो अपशब्द बोलने वाले थे न ही अश्लील बातें करने वाले और न ही बाजारों में जा कर हल्ला करने वाले, आप बुराई का बदला बुराई से नहीं देते थे, बल्कि आप माफ कर देते तथा नजरअंदाज कर देते।
10- जब तुममें से किसी का सेवक उसके सामने भोजन परोसे, तो अगर उसे अपने साथ न बिठा सके, तो उसे एक-दो लुक़मा या एक-दो निवाला ज़रूर दे, क्योंकि उसने उसे तैयार करने का काम किया है।
11- एक व्यक्ति ने दूसरे व्यक्ति से जायदाद खरीदी। फिर ख़रीदने वाले ने उसमें एक सोने का घड़ा पाया।
12- अल्लाह की क़सम, मैं किसी को देता हूँ और किसी को नहीं भी देता हूँ, जबकि जिसे नहीं देता, वह उससे कहीं अधिक प्रिय होता है, जिसे देता हूँ
13- जब तुम (किसी के सामने उसकी) प्रशंसा करने वालों को देखो, तो उनके मुँह पर मिट्टी डाल दो।
14- एक व्यक्ति अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के पास आकर कहने लगाः ऐ अल्लाह के रसूल! मैं (भूख से) निढाल हूँ।
15- मालदार व्यक्ति का कर्ज़ अदा करने में टाल-मटोल करना ज़ुल्म है और अगर तुममें से किसी को किसी मालदार के पीछे लगा दिया जाए तो वह पीछे लग जाए।
16- तुम एक ऐसे व्यक्ति हो, जिसके अंदर जाहिलयत की कुछ बातें पाई जाती हैं। वे तुम्हारे भाई और दास हैं। उन्हें अल्लाह ने तुम्हारे नियंत्रण में रखा है। अतः, जिसके मातहत उसका कोई भाई हो, वह उसे वही खिलाए जो स्वयं खाए, वही पहनाए जो स्वयं पहने और उन्हें ऐसे कार्य करने को न कहो, जो वे कर न सकें और अगर करने को कह भी दो, तो उनकी सहायता करो।
17- नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने बनी इसराईल के एक व्यक्ति की घटना सुनाई, जिसने बनी इसराईल के एक अन्य व्यक्ति से एक हज़ार दीनार क़र्ज़ माँगे थे।
18- ऐ अबू मसऊद! जान लो कि अल्लाह तुम पर तुम्हारे इस ग़ुलाम पर सामर्थ्य से अधिक सामर्थ्य रखता है। तो मैंने कहा: इसके पश्चात मैं कभी किसी दास को नहीं मारुँगा
19- मेरी उम्मत के अधिकतर मुनाफ़िक़ क़ारी (क़ुरआन पढ़ने वाले लोग) होंगे।