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1- जब अबू तालिब की मृत्यु का समय निकट आया, तो अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) उनके पास आए। उस समय उनके पास अब्दुल्लाह बिन अबू उमय्या और अबू जह्ल बैठे थे। आपने कहाः ऐ चचा जान, आप 'ला इलाहा इल्लल्लाह' कह दें, मैं इस कलिमा को अल्लाह के पास दलील के तौर पर प्रस्तुत करूँगा।
2- सुन लो, शक्ति से आशय तीरंदाज़ी है। सुन लो, शक्ति से आशय तीरंदाज़ी है। सुन लो, शक्ति से आशय तीरंदाज़ी है।
3- क़यामत उस समय तक नहीं आएगी, जब तक सूरज अपने डूबने के स्थान से न निकले। जब सूरज अपने डूबने के स्थान से निकलेगा और लोग देखेंगे, तो सब लोग ईमान ले आएँगे
4- क़यामत के दिन मौत को एक चितकबरे मेंढे
5- अह्ल-ए-किताब की न तो पुष्टि करो और न उनको झुठलाओ। बस इतना कहो : {हम अल्लाह पर ईमान लाए और उसपर जो हमारी ओर उतारा गया।}
6- यहूदी वह लोग हैं, जिनपर अल्लाह का प्रकोप हुआ और ईसाई वह लोग हैं, जो गुमराह हैं।
7- जब तुम ऐसे लोगों को देखो, जो क़ुरआन की सदृश आयतों का अनुसरण करते हों, तो जान लो कि उन्हीं का नाम अल्लाह ने लिया है। अतः उनसे सावधान रहना
8- उनके द्वारा की गई तुम से विश्वासघात, अवज्ञा तथा तुमसे झूठ बोलने और तुम्हारे द्वारा उनको दी गई सज़ा का हिसाब होगा
9- आप जो कुछ कह रहे हैं और जिस बात का आह्वान कर रहे हैं, वह अच्छी है। अगर आप हमें बता दें कि हमने जो पाप किए हैं, उनका कोई प्रायश्चित भी है, (तो बेहतर हो)।
10- ऐ लोगो! अल्लाह ने तुमसे जाहिलीयत काल के अभिमान एवं बाप-दादाओं पर फ़ख़्र (घमंड) करने की प्रवृत्ति को दूर कर दिया है
11- {ثُمَّ لَتُسْأَلُنَّ يَوْمَئِذٍ عَنِ النَّعِيمِ}
12- जब तुम लोग {अल-ह़म्दु लिल्लाह} पढ़ो, तो {बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम} (शुरू करता हूँ अल्लाह के नाम से, जो बड़ा दयालु और कृपाशील है) पढ़ो। निश्चय यह उम्म-उल-क़ुरआन (क़ुरआन का सार), उम्म-उल-किताब (किताब का सार) और अस-सब-अल-मसानी (बा-रबार दुहराई जाने वाली सात आयतें) है तथा {बिस्मिल्लाहिर रहमानिर रहीम} उनमें से एक है।
13- अली बिन अबू तालिब (रज़ियल्लाहु अंहु) का यह फ़रमान कि मैं पहला व्यक्ति हूँ, जो अत्यंत कृपाशील अल्लाह के सामने झगड़ने के लिए क़यामत के दिन अपने घुटनों के बल बैठेगा।
14- उमर (रज़ियल्लाहु अन्हु) मुझे बद्र युद्ध में शरीक होने वाले बड़े-बूढ़े सहाबा की मजलिस में शामिल करते थे। इससे ऐसा लगा कि उनमें से किसी के मन में कुछ नाराज़गी पाई गई।
15- जब कोई व्यक्ति अपनी पत्नी को अपने ऊपर हराम कर ले, तो उसे कुछ नहीं माना जाएगा। वह यह आयत भी पढ़ते थेः {لقد كان لكم في رسول الله أُسْوَةٌ حَسَنَةٌ} (अर्थात तुम्हारे लिए अल्लाह के रसूल में उत्तम आदर्श है।)