क़ुरआन की फ़ज़ीलतें

क़ुरआन की फ़ज़ीलतें

7- "क़ुरआन पढ़ने वाले मोमिन का उदाहरण, उस तुरंज फल के जैसा है, जिसकी गंध अच्छी और जिसका स्वाद अच्छा होता है। क़ुरआन न पढ़ने वाले मोमिन का उदाहरण उस खजूर के जैसा है, जिसमें कोई खुश्बू तो नहीं होती, लेकिन उसका स्वाद मीठा होता है*। क़ुरआन पढ़ने वाले मुनाफ़िक़ का उदाहरण उस तुलसी के जैसा है, जिसकी गंध तो अच्छी होती है लेकिन स्वाद कड़वा होता है और क़ुरआन न पढ़ने वाले मुनाफ़िक़ का उदाहरण उस इन्द्रायण फल के जैसा है, जिसके अंदर सुगंध नहीं होती और जिसका स्वाद बहुत ही कड़वा होता है।"

14- "ऐ अबुल मुंज़िर! क्या तुम जानतो हो कि तुम्हारे पास मौजूद अल्लाह की किताब की कौन-सी आयत सबसे महान है?" वह कहते हैं कि मैंने कहा : अल्लाह और उसके रसूल बेहतर जानते हैं। आपने कहा : "@ऐ अबुल मुंज़िर! क्या तुम जानतो हो कि तुम्हारे पास मौजूद अल्लाह की किताब की कौन-सी आयत सबसे महान है?" वह कहते हैं कि मैंने कहा : {اللهُ لا إِلَهَ إِلا هُوَ الْحَيُّ الْقَيُّومُ} [सूरा अल-बक़रा : 255] वह कहते हैं : यह सुन आप ने मेरे सीने पर मारा और फ़रमाया : "@अल्लाह की क़सम! ऐ अबुल मुंज़िर! तुमको यह ज्ञान मुबारक हो।"

15- अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम जब प्रत्येक रात बिस्तर में जाते, तो अपनी दोनों हथेलियों को जमा करते, फिर उनमें फूँकते और उनमें "क़ुल हु-वल्लाहु अहद", "क़ुल अऊज़ु बि-रब्बिल फ़लक़" और "क़ुल अऊज़ु बि-रब्बिन नास"* तीनों सूरतें पढ़ते और दोनों हथेलियों को जहाँ तक संभव होता अपने शरीर पर फेरते। हाथ फेरने का आरंभ अपने सर, चेहरे और शरीर के अगले भाग से करते। ऐसा तीन बार करते।