ज़कात

ज़कात

12- "अमल छह प्रकार के हैं और लोग चार प्रकार के हैं। रही बात छह आमाल की, तो उनमें से दो प्रकार के अमल वाजिब करने वाले हैं, दो प्रकार के अमल बराबर-बराबर हैं, एक प्रकार का अमल ऐसा नेक अमल है कि उसका सवाब दस गुना मिलता है और एक प्रकार का अमल ऐसा नेक अमल है कि उसका सवाब सात सौ गुना मिलता है*। जहाँ तक दो वाजिब करने वाले अमल की बात है, तो जो व्यक्ति इस अवस्था में दुनिया से मृत्यु को प्राप्त हुआ कि किसी को अल्लाह का साझी नहीं ठहराया, वह जन्नत में जाएगा और जो इस अवस्था में दुनिया से मृत्यु पाया कि किसी को अल्लाह का साझी ठहराया, वह जहन्नम में जाएगा। जहाँ तक बराबर-बराबर वाले दो अमल की बात है, तो ध्यान में रहे कि जिसने किसी नेकी के काम की इस तरह नीयत कर ली कि उसके दिल ने उसे महसूस किया और अल्लाह ने उसकी नीयत को जाना, तो उसके लिए एक नेकी लिखी जाएगी। इसी तरह जिसने कोई बुरा काम किया, उसके लिए एक गुनाह लिखा जाएगा। पाँचवें प्रकार का अमल यह है कि जिसने कोई नेकी का काम कर लिया, उसे उस नेकी के काम का सवाब दस गुना दिया जाएगा। और छठे प्रकार का अमल यह है कि जिसने अल्लाह के रास्ते में कोई चीज़ खर्च की, उसे इस एक अच्छे काम का सवाब सात सौ गुना मिलेगा। जहाँ तक चार प्रकार के लोगों की बात है, तो कुछ लोग दुनिया में खुशहाल हैं और आख़िरत में कंगाल होंगे, कुछ लोग दुनिया में कंगाल हैं और आख़िरत में खुशहाल होंगे, कुछ लोग दुनिया में भी कंगाल हैं और आख़िरत में भी कंगाल होंगे, जबकि कुछ लोग दुनिया में भी खुशहाल हैं और आख़िरत में भी खुशहाल होंगे।

13- एक बार हम मस्जिद में नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के साथ बैठे हुए थे कि इतने में ऊँट पर सवार होकर एक व्यक्ति आया और अपने ऊँट को मस्जिद में बिठाकर बाँध दिया, फिर पूछने लगा कि तुममें से मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) कौन हैं ? अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम उस समय सहाबा किराम रज़ियल्लाहु अन्हुम के बीच टेक लगाकर बैठे हुए थे । हमने कहा : यह सफ़ेद रंग वाले व्यक्ति जो टेक लगाकर बैठे हुए हैं, मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) हैं। तब वह आपसे कहने लगा : ऐ अब्दुल मुत्तलिब के बेटे! इसपर आपने फ़रमाया : जो कहना है, कहो! मैं तुझे जवाब देता हूँ। फिर उस आदमी ने आपसे कहा कि मैं आपसे कुछ पूछने वाला हूँ और पूछने में सख़्ती से काम लूँगा। आप दिल में मुझपर नाराज़ ना हों। यह सुन आपने फ़रमाया : कोई बात नहीं जो पूछना है, पूछो।तो उसने कहा कि मैं आपको आपके रब और आपसे पहले वाले लोगों के रब की क़सम देकर पूछता हूँ, क्या अल्लाह ने आपको तमाम इन्सानों की तरफ़ नबी बनाकर भेजा है? आपने फ़रमाया : हाँ अल्लाह गवाह है। फिर उसने कहा : आपको अल्लाह की क़सम देकर पूछता हूँ क्या अल्लाह ने आपको दिन रात में पाँच नमाज़ें पढ़ने का आदेश दिया है? आपने फ़रमाया : हाँ अल्लाह गवाह है फिर उसने कहा : मैं आपको अल्लाह की क़सम देकर पूछता हूँ कि क्या अल्लाह ने साल भर में रमज़ान के रोज़े रखने का आदेश दिया है? आपने फ़रमाया : हाँ, अल्लाह गवाह है। फिर कहने लगा : मैं आपको अल्लाह की क़सम देकर पूछता हूँ कि क्या अल्लाह ने आपको आदेश दिया है कि आप हमारे मालदारों से सदक़ा लेकर हमारे निर्धनों में बांट दें? आपने फ़रमाया : हाँ अल्लाह गवाह है। उसके बाद वह आदमी कहने लगा : मैं उस (शरीयत) पर ईमान लाता हूँ, जो आप लाए हैं। मैं अपनी क़ौम का प्रतिनिधि बनकर आपकी सेवा में उपस्थित हुआ हूँ, मेरा नाम ज़िमाम बिन सालबा है@ और मैं साद बिन अबी बक्र नामी क़बीले से ताल्लुक़ रखता हूँ।