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1- सदक़ा और दान देने से किसी का माल कम नहीं होता है, बंदो को क्षमा करने से अल्लाह माफ़ करने वाले के आदर-सम्मान को और बढ़ा देता है और जो व्यक्ति अल्लाह के लिए विनम्रता अपनाता है, सर्वशक्तिमान एवं महान अल्लाह उसका स्थान ऊँचा कर देता है।
2- उच्च एवं महान अल्लाह फ़रमाता है : ऐ आदम की संतान, व्यय करो, तुमपर व्यय किया जाएगा।
3- इस्लाम की बुनियाद पाँच चीज़ों पर रखी गई है।
4- जिस दिन भी बंदे सुबह करते हैं, तो दो फ़रिश्ते उतरते हैं; एक कहता हैः ऐ अल्लाह ख़र्च करने वाले को उत्तम प्रतिफल प्रदान कर, जबकि दूसरा कहता हैः ऐ अल्लाह, रोकने वाले का विनाश कर।
5- हम अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) के जीवनकाल में 'सदक़तुल फ़ित्र' में एक साअ खाने की वस्तु, एक साअ जौ, एक साअ पनीर या एक साअ किशमिश निकालते थे।
6- अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने सदक़ा-ए-फ़ित्र - अथवा सदक़ा-ए-रमज़ान फ़रमाया- परुष, स्त्री, आज़ाद एवं ग़ुलाम पर खुज़ूर का एक साअ (एक मापने का पैमाना) या जौ का एक साअ अनिवार्य किया है।
7- पाँच ओक़िया से कम (चाँदी) में ज़कात नहीं है, पाँच से कम ऊँट में ज़कात नहीं है और पाँच वसक़ से कम (अन्न) में ज़कात नहीं है।
8- क्या अल्लाह ने तुम्हें सदक़ा करने को कुछ नहीं दिया है? प्रत्येक 'सुबहानल्लाह' कहना सदक़ा है, प्रत्येक 'अल्लाहु अकबर' कहना सदक़ा है, प्रत्येक 'अल-हमदु-लिल्लाह' कहना सदक़ा है, प्रत्येक 'ला इलाहा इल्लल्लाह' कहना सदक़ा है।
9- जो व्यक्ति हलाल की कमाई से खजूर के बराबर भी कोई वस्तु सदक़ा करता है और वैसे भी अल्लाह केवल हलाल वस्तु ही को स्वीकार करता है, तो अल्लाह उसे अपने दाहिने हाथ से ग्रहण करता है और फिर उसे सदक़ा करने वाले के लिए उसी प्रकार बढ़ाता जाता है, जिस प्रकार तुममें कोई घोड़े के बच्चे की परवरिश करता है, यहाँ तक कि वह पहाड़ के समान हो जाता है।
10- जो भी सोना तथा चाँदी का मालिक उसका हक़ अदा नहीं करता, क़यामत के दिन उसके लिए आग की तख़्तियाँ बनाई जाएँगी, फिर उन्हें जहन्नम की आग में तपाया जाएगा और उनसे उसके पहलू, पेशानी तथा पीठ को दागा जाएगा।
11- जहन्नम से बचो, चाहे खजूर के एक टुकड़े के द्वारा ही क्यों न हो।
12- अमल छह प्रकार के हैं और लोग चार प्रकार के हैं। रही बात छह आमाल की, तो उनमें से दो प्रकार के अमल वाजिब करने वाले हैं, दो प्रकार के अमल बराबर-बराबर हैं, एक प्रकार का अमल ऐसा नेक अमल है कि उसका सवाब दस गुना मिलता है और एक प्रकार का अमल ऐसा नेक अमल है कि उसका सवाब सात सौ गुना मिलता है
13- और मैं साद बिन अबी बक्र नामी क़बीले से ताल्लुक़ रखता हूँ।
14- अमानतदार, मुसलमान कोषाधिकारी, जो खुशी-खुशी अक्षरशः उसका पालन करता हो, जिसका आदेश उसे मिला हो और वहीं खर्च करता हो, जहाँ खर्च करने का आदेश उसे दिया गया हो, वह भी एक सदक़ा करने वाला है।
15- जो इन पुत्रियों के द्वारा कुछ आज़माया जाए, फिर वह उनके साथ अच्छा व्यवहार करे, तो वे उनके लिए जहन्नम की आग से बचाव का माध्यम बन जाएँगी।
16- सबसे उत्तम दान, अल्लाह की राह में टेंट की छाया उपलब्ध कराना, अल्लाह की राह में सेवक प्रदान करना या अल्लाह की राह में जवान मादा ऊँटनी देना है।
17- कोई वस्तु माँगने में हद से ज्यादा आग्रह मत करो। क्योंकि तुममें से कोई व्यक्ति जब मुझसे कोई चीज़ माँगता है और मुझे पसंद न होेने के बावजूद उसका सवाल मुझेस कोई वस्तु निकाल लेता है, तो मेरी दी हुई चीज़ में बरकत नहीं दी जाती।
18- ऊपर वाला हाथ नीचे वाले हाथ से बेहतर है। ऊपर वाला हाथ खर्च करने वाला हाथ है और नीचे वाला हाथ माँगने वाला हाथ है
19- तो सुनो, उसका धन वह है, जो उसने आगे भेज दिया और उसके वारिस का धन वह है, जो उसने पीछे छोड़ दिया
20- ईर्ष्या, केवल दो प्रकार के लोगों से रखना जायज़ है; एक वह व्यक्ति, जिसे अल्लाह ने धन प्रदान किया हो तथा उसने उस धन को सत्य के मार्ग में खर्च करने पर लगा दिया हो तथा दूसरा वह व्यक्ति, जिसे अल्लाह ने अंतर्ज्ञान प्रदान किया हो और वह उसी के अनुसार निर्णय करता हो और उसकी शिक्षा देता हो।
21- सबसे बड़ा प्रतिफल वाला सदक़ा कौन-सा है? आपने फरमायाः वह सदक़ा, जो तुम उस समय करो, जब तुम सेहतमंद एवं लोभी हो; तुम्हें निर्धन हो जाने का डर सताए और मालदारी की आशा रखो। देखो, इतनी देर न करो कि जब प्राण गले तक पहुँच जाएँ तो कहने लगो कि उमुक के लिए इतना है और अमुक के लिए इतना है। हालाँकि वह अमुक का हो ही चुका है।
22- मुसलमान को उसके घोड़े और गुलाम की ज़कात नहीं देनी है।
23- जानवरों से होने वाली क्षति की क्षतिपूर्ति नहीं है, कुएँ में गिरने से होने वाली क्षति की क्षितपूर्ति नहीं है, खान में काम करते समय होने वाली क्षति की क्षतिपूर्ति नहीं है तथा ज़मीन में दफ़न ख़ज़ाने का पाँचावाँ भाग देना है।
24- ऐ यज़ीद! तेरे लिए वही है, जिसकी तूने नीयत की और ऐ मअन! तेरे लिए वह है, जो तूने लिया।
25- खाओ, पियो और दान करो। हाँ, मगर घमंड और फ़िज़ूलख़र्ची को राह न दो।
26- "उसका कितना भाग कितना भाग बचा हुआ है?" लोगों ने उत्तर दिया : केवल उसका कंधा बचा हुआ है। आपने कहा : "कंधे के सिवा पूरा बचा हुआ है।"
27- वह दीनार जो तुमने अल्लाह के रास्ते में खर्च किया, वह दीनार जो तुमने किसी दास को मुक्त करने के लिए खर्च किया, वह दीनार जो तुमने किसी निर्धन को दान किया और वह दीनार जो तुमने बाल-बच्चों पर ख़र्च किया, उनमें सबसे अधिक नेकी वाला दीनार वह है, जिसे तुमने अपने परिवार पर खर्च किया।
28- ख़र्च करो और गिन-गिनकर न रखो, वरना अल्लाह भी तुझपर गिनकर रखेगा तथा तिजोरी बंद करके न रखो, वरना अल्लाह भी तेरे साथ यही करेगा।
29- कंजूस और खर्च करने वाले का उदाहरण उन दो व्यक्तियों की तरह है, जिनपर छाती से लेकर हँसली तक लोहे के दो कवच हों।
30- हम लोग किसी सफ़र में नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- के साथ थे कि इसी बीच एक व्यक्ति सवार होकर आया।
31- थू, थू! इसे फेंक दो, क्या तुम नहीं जानते कि हम सदक़े की चीज़ नहीं खाते?
32- सर्वोत्तम सदका वह है जो अपनी आवश्यकता के बराबर धन बचाकर रखने के बाद किया जाए, ऊपर वाला हाथ नीचे वाले हाथ से उत्तम है और तुममें से हर व्यक्ति को चाहिए कि उससे आरंभ करे जिसके ऊपर खर्च करना उसके ऊपर वाजिब है।
33- मुआज़ बिन जबल (रज़ियल्लाहु अंहु) का यह कहना कि नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने मुझे यमन की ओर भेजा और आदेश दिया कि हर तीस गाय से एक एक साल का बछड़ा या बछिया लूँ और हर चालीस गाय से एक दो साल की बछिया लूँ तथा हर व्यस्क की ओर से एक दीनार या उसकी क़ीमत के बराबर मआफ़िरी कपड़ा लूँ।
34- बहुत ख़ूब, यह तो बहुत लाभदायक माल है। यह तो वाकई लाभदायक धन है। जो कुछ तुमने कहा, उसे मैंने सुन लिया। मेरी राय यह है कि तुम इसे अपने रिश्तेदारों में बाँट दो।
35- ऐ उमर! क्या आपको पता नहीं कि आदमी का चचा उसके बाप के समान होता है?
36- एक व्यक्ति एक सुनसान मैदान में चल रहा था कि उसने बादल से एक आवाज़ सुनी।
37- एक व्यक्ति ने कहा कि मैं सद्क़ा करूंगा, अतः वह सद्का लेकर निकला और उसे एक चोर को थमा दिया, तो लोग कहने लगे: चोर को सद्क़ा दिया गया है
38- तेरे लिए इसके बदले में क़यामत के दिन सात सौ नकेल लगी हुई ऊँटनियाँ हैं।