रसूलों पर ईमान

रसूलों पर ईमान

8- "मुझे पाँच चीज़ें ऐसी दी गई हैं, जो मुझसे पहले किसी नबी को दी नहीं गई थीं।* एक महीने की मसाफ़त तक जाने वाले प्रताप द्वारा मेरा सहयोग किया गया है। मेरे लिए धरती को नमाज़ पढ़ने का स्थान एवं पवित्रता प्राप्त करने का साधन बनाया गया है। लिहाज़ा मेरी उम्मत का जो व्यक्ति जहाँ नमाज़ का समय पाए, वह वहीं नमाज़ अदा कर ले। मेरे लिए ग़नीमत का धन हलाल किया गया है। मुझसे पहले किसी के लिए ग़नीमत का धन हलाल न था। मुझे सिफ़ारिश करने का अधिकार दिया गया है। दूसरे नबी अपने-अपने समुदायों की ओर नबी बनाकर भेजे जाते थे। लेकिन मुझे तमाम इन्सानों की ओर नबी बनाकर भेजा गया है।"

13- एक बार हम मस्जिद में नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के साथ बैठे हुए थे कि इतने में ऊँट पर सवार होकर एक व्यक्ति आया और अपने ऊँट को मस्जिद में बिठाकर बाँध दिया, फिर पूछने लगा कि तुममें से मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) कौन हैं ? अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम उस समय सहाबा किराम रज़ियल्लाहु अन्हुम के बीच टेक लगाकर बैठे हुए थे । हमने कहा : यह सफ़ेद रंग वाले व्यक्ति जो टेक लगाकर बैठे हुए हैं, मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) हैं। तब वह आपसे कहने लगा : ऐ अब्दुल मुत्तलिब के बेटे! इसपर आपने फ़रमाया : जो कहना है, कहो! मैं तुझे जवाब देता हूँ। फिर उस आदमी ने आपसे कहा कि मैं आपसे कुछ पूछने वाला हूँ और पूछने में सख़्ती से काम लूँगा। आप दिल में मुझपर नाराज़ ना हों। यह सुन आपने फ़रमाया : कोई बात नहीं जो पूछना है, पूछो।तो उसने कहा कि मैं आपको आपके रब और आपसे पहले वाले लोगों के रब की क़सम देकर पूछता हूँ, क्या अल्लाह ने आपको तमाम इन्सानों की तरफ़ नबी बनाकर भेजा है? आपने फ़रमाया : हाँ अल्लाह गवाह है। फिर उसने कहा : आपको अल्लाह की क़सम देकर पूछता हूँ क्या अल्लाह ने आपको दिन रात में पाँच नमाज़ें पढ़ने का आदेश दिया है? आपने फ़रमाया : हाँ अल्लाह गवाह है फिर उसने कहा : मैं आपको अल्लाह की क़सम देकर पूछता हूँ कि क्या अल्लाह ने साल भर में रमज़ान के रोज़े रखने का आदेश दिया है? आपने फ़रमाया : हाँ, अल्लाह गवाह है। फिर कहने लगा : मैं आपको अल्लाह की क़सम देकर पूछता हूँ कि क्या अल्लाह ने आपको आदेश दिया है कि आप हमारे मालदारों से सदक़ा लेकर हमारे निर्धनों में बांट दें? आपने फ़रमाया : हाँ अल्लाह गवाह है। उसके बाद वह आदमी कहने लगा : मैं उस (शरीयत) पर ईमान लाता हूँ, जो आप लाए हैं। मैं अपनी क़ौम का प्रतिनिधि बनकर आपकी सेवा में उपस्थित हुआ हूँ, मेरा नाम ज़िमाम बिन सालबा है@ और मैं साद बिन अबी बक्र नामी क़बीले से ताल्लुक़ रखता हूँ।

15- मैं अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से सुनी हुई हर बात को इस इरादे से लिख लिया करता था कि वह सुरक्षित रह जाए। लेकिन मुझे इससे क़ुरैश ने मना कर दिया और कहा कि क्या तुम अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से सुनी हुई हर बात को लिख लिया करते हो, जबकि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम एक इन्सान हैं, जो क्रोध तथा प्रसन्नता की अवस्था में बात करते हैं? अतः मैंने लिखना बंद कर दिया और अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के सामने इसका ज़िक्र किया तो आपने अपनी उंगली से अपने मुँह की ओर इशारा किया और फ़रमाया : "@तुम लिखा करो। उस हस्ती की क़सम, जिसके हाथ में मेरी जान है, इस (मुंह) से केवल सत्य ही निकलता है।"