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फ़िक़्ह तथा उसूल-ए-फ़िक़्ह - الصفحة 3
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2- वह व्यक्ति जहन्नम में प्रवेश नहीं करेगा, जिसने सूरज निकलने और सूरज डूबने से पहले नमाज़ पढ़ी।
13- ''तुममें से हर एक के साथ अल्लाह बात करेगा, इस तरह कि उसके और उसके रब के बीच कोई अनुवादक न होगा।
15- समुद्र का पानी पाक करने वाला है और उसका मरा हुआ जानवर हलाल है।
16- जब पानी दो क़ुल्लाह हो, तो वह गंदगी का प्रभाव ग्रहण नहीं करता।
20- यदि मेरी उम्मत पर कठिन न होता, तो मैं उन्हें आदेश देता कि प्रत्येक वज़ू के समय मिसवाक कर लिया करें।
25- जिसका वज़ू नहीं, उसकी नमाज़ नहीं और जिसने वज़ू करने से पहले अल्लाह का नाम नहीं लिया, उसका वज़ू नहीं।
40- हम (मासिक धर्म से) पाक होने के बाद मटमैले और पीले रंग के पानी को कुछ शुमार नहीं करती थीं।
42- जब तुममें से कोई अपनी पत्नी से एक बार संभोग करने के बाद दोबारा करना चाहे, तो दोनों के बीच वज़ू कर ले
47- अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने आशूरा के दिन (मुहर्रम की दसवीं तारीख़ को) रोज़ा रखा
56- तुममें से कोई एक ही कपड़े में इस तरह नमाज़ न पढ़े कि उसके कंधों पर कुछ न हो।
64- अपने इस परदे को हमारे सामने से हटा दो। क्योंकि, इसके चित्र बराबर मेरी नमाज़ में व्यवधान डाल रहे हैं।
66- नमाज़ में जम्हाई लेना शैतान की ओर से होता है। अतः यदि किसी को जम्हाई आए तो उसे सामर्थ्य भर रोके।
70- जब सज्दा करो तो अपनी हथेलियों को नीचे रखो, तथा कोहनियों को उठा के रखो।
98- जो महिला बिना वली की इजाजत के स्वयं निकाह कर ले उसका निकाह बातिल व अवैध है।
100- वह व्यक्ति लानती है, जो अपनी स्त्री से, उसकी पिछली शर्मगाह (गुदाद्वार) में संभोग करे।