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फ़िक़्ह तथा उसूल-ए-फ़िक़्ह - الصفحة 3
फ़िक़्ह तथा उसूल-ए-फ़िक़्ह - الصفحة 3
3- यदि मेरी उम्मत पर कठिन न होता, तो मैं उन्हें आदेश देता कि प्रत्येक वज़ू के समय मिसवाक कर लिया करें।
8- जिसका वज़ू नहीं, उसकी नमाज़ नहीं और जिसने वज़ू करने से पहले अल्लाह का नाम नहीं लिया, उसका वज़ू नहीं।
22- हम (मासिक धर्म से) पाक होने के बाद मटमैले और पीले रंग के पानी को कुछ शुमार नहीं करती थीं।
24- जब तुममें से कोई अपनी पत्नी से एक बार संभोग करने के बाद दोबारा करना चाहे, तो दोनों के बीच वज़ू कर ले
29- अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने आशूरा के दिन (मुहर्रम की दसवीं तारीख़ को) रोज़ा रखा
38- तुममें से कोई एक ही कपड़े में इस तरह नमाज़ न पढ़े कि उसके कंधों पर कुछ न हो।
46- अपने इस परदे को हमारे सामने से हटा दो। क्योंकि, इसके चित्र बराबर मेरी नमाज़ में व्यवधान डाल रहे हैं।
48- नमाज़ में जम्हाई लेना शैतान की ओर से होता है। अतः यदि किसी को जम्हाई आए तो उसे सामर्थ्य भर रोके।
52- जब सज्दा करो तो अपनी हथेलियों को नीचे रखो, तथा कोहनियों को उठा के रखो।
80- जो महिला बिना वली की इजाजत के स्वयं निकाह कर ले उसका निकाह बातिल व अवैध है।
82- वह व्यक्ति लानती है, जो अपनी स्त्री से, उसकी पिछली शर्मगाह (गुदाद्वार) में संभोग करे।
96- मुश्रिकों से अपने धन, जान तथा ज़बान द्वारा युद्ध करो।
