इबादतों पर आधारित फ़िक़्ह - الصفحة 3

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2- जिसने अज़ान सुनने के बाद यह दुआ पढ़ी : اللهم رب هذه الدعوة التامة، والصلاة القائمة، آت محمدا الوسيلة والفضيلة، وابعثه مقاما محمودا الذي وعدته अर्थात "ऐ अल्लाह! इस संपूर्ण आह्वान तथा खड़ी होने वाली नमाज़ के रब! मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) को वसीला (जन्नत का सबसे ऊँचा स्थान) और श्रेष्ठतम दर्जा प्रदान कर और उन्हें वह प्रशंसनीय स्थान प्रदान कर, जिसका तूने उन्हें वचन दिया है।" उसके लिए क़यामत के दिन मेरी सिफ़ारिश अनिवार्य हो जाएगी।

27- "जब तुममें से किसी को नमाज़ में संदेह हो जाए और याद न रहे कि कितनी रकात पढ़ी है, तीन अथवा चार? तो संदेह को परे डाल दे और जिस पर यक़ीन हो, उसे आधार बनाए। फिर सलाम फेरने से पहले दो सजदे कर ले।* ऐसे में, अगर उसने पाँच रकातें पढ़ ली हैं, तो दो सजदे उसकी नमाज़ को सम संख्या वाली नमाज़ बना देंगे और अगर उसने पूरी चार रकात पढ़ी है, तो दोनों सजदे शैतान के अपमान का सामान बन जाएँगे।"

44- अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने एक दिन हमें फ़ज्र की नमाज़ पढ़ाई, फिर पूछा : “क्या अमुक व्यक्ति उपस्थित है?” लोगों ने कहा : नहीं। आपने पुनः पूछा : “क्या अमुक व्यक्ति उपस्थित है?” लोगों ने कहा : नहीं। आपने फ़रमाया : @“यह दो नमाज़ें मुनाफिकों के लिए सर्वाधिक कठिन हैं और यदि वह जान लेते कि इनमें कितना सवाब है, तो वे अवश्य आते, चाहे (हाथ एवं) घुटनों के बल घिसटते हुए ही क्यों न हो।* प्रथम सफ (पंक्ति) फरिश्तों की सफ के समान है। यदि तुम इसकी फज़ीलत (महत्व) जान लेते, तो इसके लिए जल्दी करते। एक आदमी की नमाज़ दूसरे आदमी के साथ अकेले नमाज़ पढ़ने से बेहतर है और दो आदमियों के साथ नमाज़ पढ़ना एक आदमी के साथ नमाज़ पढ़ने से बेहतर है। लोग (नमाज़ में) जितने अधिक होंगे, नमाज़ अल्लाह तआला के समीप उतनी अधिक प्रिय होगी।”

52- "अमल छह प्रकार के हैं और लोग चार प्रकार के हैं। रही बात छह आमाल की, तो उनमें से दो प्रकार के अमल वाजिब करने वाले हैं, दो प्रकार के अमल बराबर-बराबर हैं, एक प्रकार का अमल ऐसा नेक अमल है कि उसका सवाब दस गुना मिलता है और एक प्रकार का अमल ऐसा नेक अमल है कि उसका सवाब सात सौ गुना मिलता है*। जहाँ तक दो वाजिब करने वाले अमल की बात है, तो जो व्यक्ति इस अवस्था में दुनिया से मृत्यु को प्राप्त हुआ कि किसी को अल्लाह का साझी नहीं ठहराया, वह जन्नत में जाएगा और जो इस अवस्था में दुनिया से मृत्यु पाया कि किसी को अल्लाह का साझी ठहराया, वह जहन्नम में जाएगा। जहाँ तक बराबर-बराबर वाले दो अमल की बात है, तो ध्यान में रहे कि जिसने किसी नेकी के काम की इस तरह नीयत कर ली कि उसके दिल ने उसे महसूस किया और अल्लाह ने उसकी नीयत को जाना, तो उसके लिए एक नेकी लिखी जाएगी। इसी तरह जिसने कोई बुरा काम किया, उसके लिए एक गुनाह लिखा जाएगा। पाँचवें प्रकार का अमल यह है कि जिसने कोई नेकी का काम कर लिया, उसे उस नेकी के काम का सवाब दस गुना दिया जाएगा। और छठे प्रकार का अमल यह है कि जिसने अल्लाह के रास्ते में कोई चीज़ खर्च की, उसे इस एक अच्छे काम का सवाब सात सौ गुना मिलेगा। जहाँ तक चार प्रकार के लोगों की बात है, तो कुछ लोग दुनिया में खुशहाल हैं और आख़िरत में कंगाल होंगे, कुछ लोग दुनिया में कंगाल हैं और आख़िरत में खुशहाल होंगे, कुछ लोग दुनिया में भी कंगाल हैं और आख़िरत में भी कंगाल होंगे, जबकि कुछ लोग दुनिया में भी खुशहाल हैं और आख़िरत में भी खुशहाल होंगे।

54- एक बार हम मस्जिद में नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के साथ बैठे हुए थे कि इतने में ऊँट पर सवार होकर एक व्यक्ति आया और अपने ऊँट को मस्जिद में बिठाकर बाँध दिया, फिर पूछने लगा कि तुममें से मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) कौन हैं ? अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम उस समय सहाबा किराम रज़ियल्लाहु अन्हुम के बीच टेक लगाकर बैठे हुए थे । हमने कहा : यह सफ़ेद रंग वाले व्यक्ति जो टेक लगाकर बैठे हुए हैं, मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) हैं। तब वह आपसे कहने लगा : ऐ अब्दुल मुत्तलिब के बेटे! इसपर आपने फ़रमाया : जो कहना है, कहो! मैं तुझे जवाब देता हूँ। फिर उस आदमी ने आपसे कहा कि मैं आपसे कुछ पूछने वाला हूँ और पूछने में सख़्ती से काम लूँगा। आप दिल में मुझपर नाराज़ ना हों। यह सुन आपने फ़रमाया : कोई बात नहीं जो पूछना है, पूछो।तो उसने कहा कि मैं आपको आपके रब और आपसे पहले वाले लोगों के रब की क़सम देकर पूछता हूँ, क्या अल्लाह ने आपको तमाम इन्सानों की तरफ़ नबी बनाकर भेजा है? आपने फ़रमाया : हाँ अल्लाह गवाह है। फिर उसने कहा : आपको अल्लाह की क़सम देकर पूछता हूँ क्या अल्लाह ने आपको दिन रात में पाँच नमाज़ें पढ़ने का आदेश दिया है? आपने फ़रमाया : हाँ अल्लाह गवाह है फिर उसने कहा : मैं आपको अल्लाह की क़सम देकर पूछता हूँ कि क्या अल्लाह ने साल भर में रमज़ान के रोज़े रखने का आदेश दिया है? आपने फ़रमाया : हाँ, अल्लाह गवाह है। फिर कहने लगा : मैं आपको अल्लाह की क़सम देकर पूछता हूँ कि क्या अल्लाह ने आपको आदेश दिया है कि आप हमारे मालदारों से सदक़ा लेकर हमारे निर्धनों में बांट दें? आपने फ़रमाया : हाँ अल्लाह गवाह है। उसके बाद वह आदमी कहने लगा : मैं उस (शरीयत) पर ईमान लाता हूँ, जो आप लाए हैं। मैं अपनी क़ौम का प्रतिनिधि बनकर आपकी सेवा में उपस्थित हुआ हूँ, मेरा नाम ज़िमाम बिन सालबा है@ और मैं साद बिन अबी बक्र नामी क़बीले से ताल्लुक़ रखता हूँ।

61- "जब तुम मुअज़्ज़िन को अज़ान देते हुए सुनो, तो उसी तरह के शब्द कहो, जो मुअज़्ज़िन कहता है। फिर मुझपर दरूद भेजो*। क्योंकि जिसने मुझपर एक बार दरूद भेजा, अल्लाह फ़रिश्तों के सामने दस बार उसकी तारीफ़ करेगा। फिर मेरे लिए वसीला माँगो। दरअसल वसीला जन्नत का एक स्थान है, जो अल्लाह के बंदों में से केवल एक बंदे को शोभा देगा और मुझे आशा है कि वह बंदा मैं ही रहूँगा। अतः जिसने मेरे लिए वसीला माँगा, उसे मेरी सिफ़ारिश प्राप्त होगी।"

62- उसमान बिन अफ़्फ़ान रज़ियल्लाहु अनहु ने मस्जिद-ए-नबवी के दोबारा निर्माण का इरादा किया, तो लोगों ने इसे नापसंद किया। वह चाहते थे कि उसे उसकी असल हालत पर रहने दिया जाए। इसपर उन्होंने कहा : मैंने अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को फ़रमाते हुए सुना है : "@जिसने अल्लाह के लिए कोई घर बनाया, अल्लाह जन्नत में उसके लिए उसी जैसा घर बनाएगा।"

67- कुछ लोग सह्ल बिन साद साइदी के पास आए। उनके बीच इस बात को लेकर बहस हो गई थी कि मिंबर की लकड़ी किस पेड़ की थी? उन लोगों ने सह्ल से इसके बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा : अल्लाह की क़सम, मुझे अच्छी तरह मालूम है कि उसकी लकड़ी किस पेड़ की थी। मैंने उस दिन भी उसे देखा जब उसे पहली बार रखा गया और उस दिन भी देखा जब उसपर अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पहली बार बैठे। अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अमुक औरत -एक अंसारी औरत जिसका नाम भी सह्ल ने लिया था- को कहला भेजा : "अपने बढ़ई दास से कहो कि मेरे लिए लकड़ी का एक मिंबर बना दे, जिसपर मैं लोगों से बात करते समय बैठ सकूँ।" चुनांचे उन्होंने अपने दास को इसका आदेश दिया और उसने जंगल के झाऊ के पेड़ से मिंबर तैयार करके उनको दे दिया। चुनांचे उन्होंने उसे अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास भेज दिया और अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के आदेश से उसे यहाँ रख दिया गया। फिर मैंने देखा कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने उसपर खड़े होकर नमाज़ पढ़ी। आपने उसी पर खड़े होकर तकबीर कही और उसी पर खड़े होकर रुकू किया, फिर पीछे हटते हुए मिंबर से उतर गए और मिंबर के पास ही सजदा किया और फिर मिंबर पर खड़े हो गए। जब नमाज़ पूरी हो गई, तो लोगों को संबोधित करते हुए कहा : "@लोगो! मैंने ऐसा इसलिए किया, ताकि तुम मेरा अनुसरण कर सको और मेरी नमाज़ सीख सको।"

68- "जब तुम नमाज़ पढ़ो तो अपनी सफ़ें सठीक कर लो। फिर तुममें से एक व्यक्ति तुम्हारी इमामत करे। फिर जब वह तकबीर कहे, तो तुम तकबीर कहो* और जब वह {غَيْرِ الْمَغْضُوبِ عَلَيْهِمْ وَلا الضَّالِّينَ} [सूरा अल-फ़ातिहा : 7] कहे, तो तुम आमीन कहो, अल्लाह तुम्हारी दुआ ग्रहण करेगा। फिर जब तकबीर कहे और रुकू करे, तो तुम भी तकबीर कहो और रुकू करो। इमाम तुमसे पहले रुकू में जाएगा और तुमसे पहले रुकू से उठेगा।" अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "तुम्हारे रुकू में जाने में जो क्षण भर की देर होगी, वह रुकू से उठने में होने वाली क्षण भर की देर से पूरी हो जाएगी। तथा जब इमाम "سَمِعَ اللهُ لِمَنْ حَمِدَهُ" कहे, तो तुम "اللَّهُمَّ رَبَّنَا لَكَ الْحَمْدُ" कहो, अल्लाह तुम्हारी दुआ को सुन लेगा। तथा जब वह तकबीर कहे और सजदे में जाए, तो तुम भी तकबीर कहो और सजदे में जाओ। इमाम तुमसे पहले सजदे में जाएगा और तुमसे पहले उठेगा। इसके बाद अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "तुम्हारे सजदे में जाने में जो क्षण भर की देर होगी, वह सजदे से उठने में होने वाली क्षण भर की देर से पूरी हो जाएगी। तथा जब जलसे में बैठे, तो सबसे पहले यह दुआ पढ़े : التَّحِيَّاتُ الطَّيِّبَاتُ الصَّلَوَاتُ لِلهِ، السَّلَامُ عَلَيْكَ أَيُّهَا النَّبِيُّ وَرَحْمَةُ اللهِ وَبَرَكَاتُهُ، السَّلَامُ عَلَيْنَا وَعَلَى عِبَادِ اللهِ الصَّالِحِينَ، أَشْهَدُ أَنْ لَا إِلَهَ إِلَّا اللهُ وَأَشْهَدُ أَنَّ مُحَمَّدًا عَبْدُهُ وَرَسُولُهُ"

69- वह हर नमाज़ में तकबीर कहा करते थे। नमाज़ फ़र्ज़ हो कि नफ़ल। रमज़ान में हो कि दूसरे महीनों में। वह खड़े होते समय तकबीर कहते, फिर रुकू में जाते समय तकबीर कहते, फिर "سَمِعَ اللهُ لِمَنْ حَمِدَهُ" कहते, फिर सजदे में जाने से पहले "رَبَّنَا وَلَكَ الْحَمْدُ" कहते, फिर सजदे के लिए झुकते समय तकबीर कहते, फिर सजदे से सर उठाते समय तकबीर कहते, फिर सजदे में जाते समय तकबीर कहते, फिर सजदे से सर उठाते समय तकबीर कहते, फिर दो रकात पूरी होने के बाद की बैठक से खड़े होते समय तकबीर कहते और ऐसा नमाज़ पूरी होने तक हर रकात में करते। फिर नमाज़ पूरी करने के बाद कहते : @उस हस्ती की क़सम, जिसके हाथ में मेरी जान है, मैं तुम्हारे बीच अल्लाह के रसूल से सबसे ज़्यादा मिलती-जुलती नमाज़ पढ़ने वाला व्यक्ति हूँ। दुनिया छोड़ने तक आप इसी तरह नमाज़ पढ़ते रहे।

72- अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम हर फ़र्ज़ नमाज़ के बाद यह दुआ पढ़ा करते थे* : "لَا إِلَهَ إِلَّا اللهُ وَحْدَهُ لَا شَرِيكَ لَهُ، لَهُ الْمُلْكُ وَلَهُ الْحَمْدُ، وَهُوَ عَلَى كُلِّ شَيْءٍ قَدِيرٌ، اللَّهُمَّ لَا مَانِعَ لِمَا أَعْطَيْتَ، وَلَا مُعْطِيَ لِمَا مَنَعْتَ، وَلَا يَنْفَعُ ذَا الْجَدِّ مِنْكَ الْجَدُّ" (अल्लाह के सिवा कोई सत्य पूज्य नहीं है। वह अकेला है। उसका कोई साझेदार नहीं है। उसी का राज्य तथा उसी की प्रशंसा है। वह हर काम का सामर्थ्य रखता है। ऐ अल्लाह! तू जो कुछ दे, उसे कोई रोकने वाला नहीं और जो रोक ले, उसे कोई देने वाला नहीं। किसी धनवान का धन तेरे विरुद्ध उसके कुछ काम नहीं आ सकता।)

74- वह अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास आए और कहने लगे : ऐ अल्लाह के रसूल! शैतान मेरे, मेरी नमाज़ तथा मेरी तिलावत के बीच रुकावट बनकर खड़ा हो जाता है। मुझे उलझाने के प्रयास करता है। यह सुन अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : "@यह एक शैतान है, जिसे ख़िंज़िब कहा जाता है। जब तुम्हें उसके व्यवधान डालने का आभास हो, तो उससे अल्लाह की शरण माँगो और तीन बार अपने बाएँ ओर थुत्कारो*।" उनका कहना है कि मैंने इसपर अमल करना शुरू किया, तो अल्लाह ने मेरी इस परेशानी को दूर कर दिया।

79- अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने एक अंसारी महिला से, जिसका नाम अब्दुल्लाह बिन अब्बास ने बताया था, लेकिन मैं उसका नाम भूल गया हूँ, पूछा : "तुझे हमारे साथ हज करने से किस चीज़ ने रोका?" उसने उत्तर दिया : हमारे पास केवल दो ही ऊँट थे। एक पर सवार होकर मेरे बच्चों के पिता और मेरे बेटे ने हज किया, जबकि दूसरा ऊँट हमारे पास पानी लाने के लिए छोड़ गए। उसकी बात सुन अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फ़रमाया : @"जब रमज़ान आए, तो तुम उमरा कर लो। क्योंकि रमज़ान में किया गया उमरा हज के बराबर है।"