तहारत (पवित्रता प्राप्त करना)

तहारत (पवित्रता प्राप्त करना)

3- उसमान बिन अफ़्फ़ान रज़ियल्लाहु अनहु के आज़ाद किए हुए ग़ुलाम हुमरान से रिवायत है, उन्होंने देखा कि उसमान बिन अफ़्फ़ान रज़ियल्लाहु अनहु ने वज़ू का पानी मँगवाया, दोनों हाथों पर बर्तन से तीन बार पानी उंडेला, उनको तीन बार धोया, फिर वज़ू के पानी में दायाँ हाथ दाख़िल किया, फिर कुल्ली की, नाक में पानी चढ़ाया और नाक झाड़ा, फिर चेहरे को तीन बार और दोनों हाथों को तीन बार कोहनियों समेत धोया, फिर सर का मसह किया, फिर दोनों पैरों को तीन-तीन बार धोया और उसके बाद फ़रमाया : मैंने देखा कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने मेरे इस वज़ू की तरह वज़ू किया और उसके बाद फ़रमाया : "@जिसने मेरे इस वज़ू की तरह वज़ू किया और उसके बाद दो रकात नमाज़ पढ़ी, जिसमें उसने अपने जी में कोई बात न की, अल्लाह उसके पिछले सारे गुनाह माफ़ कर देता है।*"

8- "पवित्रता आधा ईमान है, अल-हम्दु लिल्लाह तराज़ू को भर देता है, सुबहानल्लाह और अल-हम्दु लिल्लाह दोनों मिलकर आकाश एवं धरती के बीच के खाली स्थान को भर देते हैं*, नमाज़ नूर है, सदक़ा प्रमाण है, धैर्य प्रकाश है और क़ुरआन तुम्हारे लिए या तुम्हारे विरुद्ध प्रमाण है। प्रत्येक व्यक्ति जब रोज़ी की खोज में सुबह निकलता है, तो अपने नफ़्स को बेचता है। चुनांचे वह उसे आज़ाद करता है या उसका विनाश करता है।"

12- "जब तुममें से कोई वज़ू करे, तो अपनी नाक में पानी डालकर नाक झाड़े, और जो ढेलों से इस्तिंजा (शौच या मूत्र से पवित्रता अर्जन) करे, वह बेजोड़ (विषम) संख्या प्रयोग करे*, और जब तुममें से कोई नींद से जागे, तो अपने हाथों को बरतन में डालने से पहले धो ले, क्योंकि तुममें से किसी को नहीं पता कि रात के समय उसका हाथ कहाँ-कहाँ गया है।" सहीह मुस्लिम के शब्द हैं : "जब तुममें से कोई नींद से जागे, तो अपने हाथ को बरतन में उस समय तक न डुबोए, जब तक उसे तीन बार न धो ले। क्योंकि उसे नहीं पता कि रात के समय उसका हाथ कहाँ-कहाँ गया है।"

19- अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम जब जनाबत का स्नान करते, तो अपने दोनों हाथों को धोते, फिर नमाज़ के वज़ू की तरह वज़ू करते, फिर स्नान करते*, फिर अपने हाथ से बालों का ख़िलाल करते, यहाँ तक कि जब निश्चित हो जाते कि त्वचा भीग गई है, तो अपने ऊपर तीन बार पानी बहाते, फिर पूरे शरीर को धोते। वह कहती हैं : मैं और अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम एक ही बरतन से एक साथ हाथ डालकर पानी लेकर स्नान कर लिया करते थे।

22- मैंने अम्र बिन अबू हसन को देखा कि उन्होंने अब्दुल्लाह बिन ज़ैद रज़ियल्लाहु अनहु से अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के वज़ू के बारे में पूछा, तो उन्होंने एक बरतन पानी मँगवाया और @उन्हें अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की तरह वज़ू करके दिखाया*। चुनांचे सबसे पहले दोनों हथेलियों पर बरतन से पानी उंडेला और उन्हें तीन बार धोया। फिर बरतन में हाथ डालकर पानी लिया और कुल्ली की, नाक में पानी डाला और नाक झाड़ा। तीन चुल्लू पानी से तीन बार ऐसा किया। फिर बरतन में हाथ डालकर पानी लिया और तीन बार अपने चेहरे को धोया। फिर बरतन में हाथ डालकर पानी लिया और अपने दोनों हाथों को कोहनियों समेत दो बार धोया। फिर बरतन में हाथ डालकर पानी लिया और अपने सर का मसह किया; पहले दोनों हाथों को आगे से पीछे ले गए, फिर पीछे से आगे ले आए। ऐसा एक ही बार किया। फिर अपने दोनों पैरों को टखनों समेत धोया।

24- अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने मुझे किसी काम से भेजा, तो मैं जुंबी हो गया और पानी न मिल सका, इसलिए मैं ज़मीन पर लोटने लगा, जिस तरह जानवर लोटता है। फिर मैं अल्लाह के नबी ल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के पास आया और यह कहानी बताई, तो फ़रमाया : @"तुम्हारे लिए काफ़ी था कि तुम अपने हाथों से इस तरह कर लेते।" फिर आपने अपने दोनों हाथों को ज़मीन पर एक बार मारा, उसके बाद बाएँ हाथ को दाएँ हाथ पर फेरा तथा दोनों हथेलियों के बाहरी भाग एवं चेहरे का मसह किया।

30- "जिसने जुमे के दिन जनाबत (सहवास के बाद) का स्नान किया, फिर पहली घड़ी में मस्जिद की ओर चल पड़ा, उसने गोया एक ऊँट की क़ुरबानी दी;* जो दूसरी घड़ी में गया, उसने गोया एक गाय की क़ुरबानी दी; जो तीसरी घड़ी में गया, उसने गोया एक मेंढे की क़रबानी दी; जो चौथी घड़ी में गया, उसने गोया एक मुर्गी दान की और जो पाँचवीं घड़ी में निकला, उसने गोया एक अंडा दान किया। फिर जब इमाम निकल आता है, तो फ़रिश्ते उपस्थित होकर ख़ुतबा सुनने लगते हैं।"

43- “जो मुसलमान अच्छी तरह वज़ू करता है, फिर खड़े होकर मन तथा तन के साथ दो रकात नमाज़ पढ़ता है, उसके लिए जन्नत अनिवार्य हो जाती है।”* वह कहते हैं कि मैंने कहा : कितनी अच्छी बातें हैं। यह सुनकर एक व्यक्ति मेरे सामने से कहता है : इससे पहले की बातें इससे भी अच्छी थीं। मैंने देखा, तो वह उमर रज़ियल्लाहु अनहु थे। उन्होंने कहा : मैंने देखा है कि तुम अभी-अभी आए हो। आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने -इससे पहले- फ़रमाया था : “तुममें से जो भी सम्पूर्ण तरीक़े से वज़ू करता है और फिर कहता है : " أَشْهَدُ أَنْ لَا إِلَهَ إِلَّا اللهُ وَأَنَّ مُحَمَّدًا عَبْدُ اللهِ وَرَسُولُهُ" (मैं इस बात की गवाही देता हूँ कि अल्लाह के सिवा कोई सत्य पूज्य नहीं और मुहम्मद अल्लाह के बंदे तथा रसूल हैं) उसके लिए जन्नत के आठों दरवाज़े खोल दिए जाएँगे। वह जिससे चाहेगा, प्रवेश करेगा।”