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दुआओं तथा अज़कार पर आधारित फ़िक़्ह
दुआओं तथा अज़कार पर आधारित फ़िक़्ह
1- सबसे उत्तम ज़िक्र 'ला इलाहा इल्लल्लाह' और सबसे उत्तम दुआ 'अल-हम्दु लिल्लाह' है।
4- दो शब्द रहमान (अल्लाह) को बड़े प्रिय हैं
7- जिसने सूरा बक़रा की अंतिम दो आयतें रात में पढ़ लीं, वह उसके लिए काफ़ी हो जाती हैं।
9- ऐ अब्बास, ऐ अल्लाह के रसूल के चचा, अल्लाह से दुनिया एवं आख़िरत में आफ़ियत (सलामती) माँगिए।
14- अल्लाह अपने बंदे से सबसे निकट रात के अंतिम भाग में होता है।
22- ऐ लोगो! अल्लाह के सामने तौबा करो और उससे क्षमा माँगो, क्योंकि खुद मैं दिन में सौ बार तौबा करता हूँ।
25- कंजूस वह व्यक्ति है, जिसके सामने मेरा नाम लिया जाए और वह मुझपर दरूद न भेजे।
27- हे अल्लाह, तू मेरे समस्त पापों को क्षमा कर दे; छोटे-बड़े, स्पष्ट-अस्पष्ट तथा अगले-पिछले सभी को।
28- अज़ान तथा इक़ामत के बीच की जाने वाली दुआ रद्द नहीं होती।
29- ऐ अल्लाह! मेरे लिए मेरे धर्म को सुधार दे, जो मेरे मामले का संरक्षण है
31- ऐ अल्लाह! मैं तुझसे दुनिया एवं आख़िरत में सुरक्षा माँगता हूँ।
34- ऐ अल्लाह! मैं तेरी शरण माँगता हूँ क़र्ज़ के बोझ तथा शत्रुओं के हावी होने और दुश्मनों के हँसने से।
38- “सय्यदुल इस्तिग़फार (सर्वश्रेष्ठ क्षमायाचना)
47- उसकी नाक मिट्टी से भर जाए, जिसके पास मेरा नाम लिया गया और उसने मुझपर दरूद नहीं भेजा।
79- ऐ अल्लाह, जिस प्रकार तूने मेरी शक्ल-सूरत अच्छी बनाई है, उसी प्रकार मेरे अख़लाक़ भी अच्छे बना दे।
81- ऐ अल्लाह, मैं तेरी शरण माँगता हूँ, विवशता तथा सुस्ती से, कंजूसी और बुढ़ापे से एवं क़ब्र की यातना से।
93- जब हम किसी ऊँचे स्थान पर चढ़ते , तो अल्लाहु अकबर कहते और जब ढलान पर आते तो सुबहानल्लाह कहा करते थे