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नमाज़
नमाज़
1- "खाने की मौजूदगी में नमाज़ न पढ़ी जाए और न उस समय जब इन्सान को पेशाब-पाखाना की हाजत सख़्त हो।"
10- “क़ब्रों पर मत बैठो और उनकी ओर मुँह करके नमाज़ न पढ़ो।”
13- :
16- : :
21- الله أكبر الله أكبر الله أكبر الله أكبر
23- "आदमी के बीच तथा कुफ़्र एवं शिर्क के बीच की रेखा नमाज़ छोड़ना है।"
24- "वह वचन, जो हमारे और उनके बीच है, नमाज़ है। जिसने इसे छोड़ दिया, उसने कुफ़्र किया।"
25- "जब तुम अज़ान सुनो, तो तुम उसके समान कहो, जो मुअज़्ज़िन कहता है।"
26- "अपनी सफ़ें सीधी कर लिया करो; क्योंकि सफ़ों को सीधा करने का संबंध नमाज़ की पूर्णता से है।"
35- :
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41- :
49- "जिसने दो ठंडे समय की नमाज़ें पढ़ीं, वह जन्नत में जाएगा।"
53- जो लहसुन अथवा प्याज़ खाए, वह हमसे अलग रहे (अथवा हमारी मस्जिद से अलग रहे) और घर में बैठ रहे।
60- :
61- "जिसने सूरा-ए-फ़ातिहा नहीं पढ़ी, उसकी नमाज़ ही नहीं।"
63- "तुममें से जो जुमे की नमाज़ के लिए आए, वह स्नान कर ले।"
71- "वह व्यक्ति जहन्नम में प्रवेश नहीं करेगा, जिसने सूरज निकलने और सूरज डूबने से पहले नमाज़ पढ़ी।"
92- अपने इस परदे को हमारे सामने से हटा दो। क्योंकि, इसके चित्र बराबर मेरी नमाज़ में व्यवधान डाल रहे हैं।
94- नमाज़ में जम्हाई लेना शैतान की ओर से होता है। अतः यदि किसी को जम्हाई आए तो उसे सामर्थ्य भर रोके।