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नमाज़
नमाज़
1- खाने की मौजूदगी में नमाज़ न पढ़ी जाए और न उस समय जब इन्सान को पेशाब-पाखाना की हाजत सख़्त हो।
3- ऐ अल्लाह, मेरी क़ब्र को बुत न बनने देना
7- जिसने सुबह की नमाज़ पढ़ी, वह अल्लाह की रक्षा में होता है
9- जिसने अस्र की नमाज़ छोड़ दी, उसके सभी कर्म व्यर्थ हो गए।
10- “क़ब्रों पर मत बैठो और उनकी ओर मुँह करके नमाज़ न पढ़ो।”
12- मुझे शरीर के सात अंगों पर सजदा करने का हुक्म दिया गया है
14- ऐ अल्लाह! तू ही शांति वाला है और तेरी ओर से ही शांति है। तू बरकत वाला है ऐ महानता और सम्मान वाले
18- इस्लाम की बुनियाद पाँच चीज़ों पर क़ायम है
23- आदमी के बीच तथा कुफ़्र एवं शिर्क के बीच की रेखा नमाज़ छोड़ना है।
24- वह वचन, जो हमारे और उनके बीच है, नमाज़ है। जिसने इसे छोड़ दिया, उसने कुफ़्र किया।
25- जब तुम अज़ान सुनो, तो तुम उसके समान कहो, जो मुअज़्ज़िन कहता है।
27- मैंने अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम से दस रकात सीखी हैं
61- जिसने सूरा-ए-फ़ातिहा नहीं पढ़ी, उसकी नमाज़ ही नहीं।
71- जो व्यक्ति सूर्य निकलने तथा डूबने से पूर्व नमाज़ पढ़ता है, वह जहन्नम में कदापि प्रवेश नहीं करेगा
92- अपने इस परदे को हमारे सामने से हटा दो। क्योंकि, इसके चित्र बराबर मेरी नमाज़ में व्यवधान डाल रहे हैं।
94- नमाज़ में जम्हाई लेना शैतान की ओर से होता है। अतः यदि किसी को जम्हाई आए तो उसे सामर्थ्य भर रोके।
125- और मैं साद बिन अबी बक्र नामी क़बीले से ताल्लुक़ रखता हूँ।
127- जिसने अल्लाह के लिए कोई घर बनाया, अल्लाह जन्नत में उसके लिए उसी जैसा घर बनाएगा।
129- जब तुममें से कोई मस्जिद के अंदर प्रवेश करे, तो बैठने से पहले दो रकातें पढ़ ले।
131- ऐ बिलाल! नमाज़ क़ायम (खड़ी) करो, हमें उसके द्वारा सुकून पहुँचाओ।
132- लोगो! मैंने ऐसा इसलिए किया, ताकि तुम मेरा अनुसरण कर सको और मेरी नमाज़ सीख सको।
137- अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम हर फ़र्ज़ नमाज़ के बाद यह दुआ पढ़ा करते थे
233- जब तुममें से कोई नमाज़ पढ़े, तो अपनी नमाज़ के लिए कोई ओ़ट बना ले, चाहे वह एक तीर ही क्यों न हो।