फ़ज़ीलतें

फ़ज़ीलतें

15- “जिसने दस बार 'ला इलाहा इल्लल्लाहु वह़दहु ला शरीका लहु, लहुल-मुल्कु व लहुल-हम्दु, व हुवा अला कुल्लि शैइन क़दीर' (अर्थात, अल्लाह के सिवा कोई वास्तविक पूज्य नहीं, वह अकेला है, उसका कोई साझी नहीं है, पूरा राज्य उसी का है और सब प्रशंसा उसी की है और उसके पास हर चीज़ का सामर्थ्य है।) कहा

72- अमल छह प्रकार के हैं और लोग चार प्रकार के हैं। रही बात छह आमाल की, तो उनमें से दो प्रकार के अमल वाजिब करने वाले हैं, दो प्रकार के अमल बराबर-बराबर हैं, एक प्रकार का अमल ऐसा नेक अमल है कि उसका सवाब दस गुना मिलता है और एक प्रकार का अमल ऐसा नेक अमल है कि उसका सवाब सात सौ गुना मिलता है