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फ़िक़्ह तथा उसूल-ए-फ़िक़्ह
फ़िक़्ह तथा उसूल-ए-फ़िक़्ह
2- आदमी उस समय नमाज़ न पढ़े, जब खाना हाज़िर हो। और उस समय भी नहीं, जब तेज़ पेशाब व पाखाना लगा हुआ हो।
3- यदि तुमने जुमे के दिन, ख़ुतबे के दौरान अपने साथी से कहा कि खामोश हो जा, तो तुमने व्यर्थ कार्य किया।
10- मिसवाक मुँह को साफ़ करने वाली और अल्लाह को प्रसन्न करने वाली वस्तु है
16- न (किसी की अकारण) हानि करना है, न बदले में हानि करना है।
181- जब पति अपनी पत्नी को सहवास के लिए बुलाए, तो वह अवश्य आए, यद्यपि वह चूल्हे के पास ही क्यों न हो।
194- अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने सोने को चाँदी के बदले में उधार बेचने से मना फ़रमाया है।
204- अल्लाह के नबी (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) किसी महीने में शाबान से अधिक रोज़ा (उपवास) नहीं रखते थे
205- जो व्यक्ति सूर्य निकलने तथा डूबने से पूर्व नमाज़ पढ़ता है, वह जहन्नम में कदापि प्रवेश नहीं करेगा
223- यदि मेरी उम्मत पर कठिन न होता, तो मैं उन्हें आदेश देता कि प्रत्येक वज़ू के समय मिसवाक कर लिया करें।
228- जिसका वज़ू नहीं, उसकी नमाज़ नहीं और जिसने वज़ू करने से पहले अल्लाह का नाम नहीं लिया, उसका वज़ू नहीं।
245- जब तुममें से कोई अपनी पत्नी से एक बार संभोग करने के बाद दोबारा करना चाहे, तो दोनों के बीच वज़ू कर ले
250- अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने आशूरा के दिन (मुहर्रम की दसवीं तारीख़ को) रोज़ा रखा
251- अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) (कभी- कभी) जनाबत की हालत में पानी छूए बिना सो जाते थे
267- अपने इस परदे को हमारे सामने से हटा दो। क्योंकि, इसके चित्र बराबर मेरी नमाज़ में व्यवधान डाल रहे हैं।
269- नमाज़ में जम्हाई लेना शैतान की ओर से होता है। अतः यदि किसी को जम्हाई आए तो उसे सामर्थ्य भर रोके।
300- निकाह का ऐलान करो।
335- हर मुसलमान पर यह अनिवार्य है कि हर सात दिन में एक दिन स्नान करे, जिस दिन अपने सर तथा शरीर को धोए।
358- अल्लाह के रसूल- सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- ने हमें सात बातों का आदेश दिया है और सात जीचों से रोका है।
402- जो किसी बात पर क़सम खा ले, फिर उससे अधिक परहेज़गारी वाली बात देखे, तो परहेज़गारी वाला कार्य करे।
521- युद्ध धोखा है।
581- हम लोग किसी सफ़र में नबी -सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम- के साथ थे कि इसी बीच एक व्यक्ति सवार होकर आया।
613- अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) जिन्नों और इनसानों की नज़र से अल्लाह की शरण माँगा करते थे।
625- जब तुम अपने सधाए हुए कुत्ते को छोड़ो और अल्लाह का नाम लो, तो उसे खाओ जो वह तुम्हारे लिए रोककर रखे।
641- बिल्ली अपवित्र नहीं है। यह तुम्हारे आप-पास घूमने-फिरने वालों तथा घूमने-फिरने वालियों में से है।
723- जब तुममें से कोई नमाज़ पढ़े, तो अपनी नमाज़ के लिए कोई ओ़ट बना ले, चाहे वह एक तीर ही क्यों न हो।
791- अल्लाह के रसूल (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) ने जब उनसे निकाह किया, तो आप एहराम की अवस्था में नहीं थे।
872- दो औरतें थीं। साथ में उनके बच्चे भी थे। इतने में भेड़िया आया और उनमें से एक के बच्चे को ले भागा।
931- वयस्क हो जाने के बाद आदमी अनाथ नहीं रहता और रात होने तक दिन भर ख़ामोश रहने का कोई औचित्य नहीं है।
936- अबू तलहा -अल्लाह उनसे प्रसन्न हो- का एक पुत्र बीमार था। अबू तलहा कहीं बाहर गए, तो उसकी मृत्यू हो गई।